10 Line Maha Shivratri- महाशिवरात्रि पर निबंध

10 Line maha shivratri short essay hindi

10 Line Maha Shivratri – देवों के देव जिन्हें कहते है महादेव यानी शिव जी जोकि हिंदुओं के देवता हैं महाशिवरात्रि को उन्ही की आराधना की जाती हैं शिव जिन्हें शंकर, भोले, महादेव, महाकाल, महारुद्र, नटराज, नीलकंठ, गंगाधर, शशिधर इत्यादि नाम से जाना जाता है।

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10 Line Maha Shivratri Short Essay Hindi- 1

1. महाशिवरात्रि हिन्दुओं का पवित्र त्यौहार है।

2. पूरे भारत में यह पर्व बहुत ही उल्लास और श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया जाता है।

3. हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

4. वैसे तो हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि होती है परन्तु महाशिवरात्रि इनमें से सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है।

5. शिव पुराण के अनुसार इसी रात्रि को भगवान शिव एक बहुत बड़े ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे तथा ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने सर्वप्रथम उनकी पूजा की थी।

6. अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन शिवशंकर का विवाह माँ आदि शक्ति से संपन्न हुआ था तथा समुद्र मंथन की कथा के अनुसार इसी दिन भोले बाबा ने कालकूट विष को अपने कण्ठ में धारण किया था।

7. इस दिन भक्तजन शिवलिंग पर पंचामृत, दूध, और जल से अभिषेक करते है तथा बेल पत्र, भांग, धतूरा और बेर आदि फल अर्पित करते है।

8. इस दिन भक्तजन पूरा दिन उपवास रखते है तथा वृद्ध और रोगीजन फलाहार कर सकते है।

9. रात्रि में जागरण किया जाता है और रात्रि के चारों प्रहरोँ में शंकर जी की पूजा की जाती है।

10. जो भी भक्त श्रद्धा भक्ति से नियमपूर्वक यह व्रत पूरा करते है तो भोले शंकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है।

10 Line Maha Shivratri Short Essay Hindi- 2

1. महाशिवरात्रि वर्ष की 12 शिवरात्रियों में से सबसे अधिक अंधकारमयी और ऊर्जा का संचार करने वाली रात्रि है।

2. इसी रात्रि के निशीथ काल में प्रभु शिव प्रथम बार एक-एक आदि अन्त विहीन ज्योति स्तम्भ के रूप में प्रकट हुए थे।

3. ब्रह्मा हँस बन कर उस स्तम्भ का अन्त और विष्णु जी वराह बन कर धरती के नीचे उसका आदि ढूंढने लगे परन्तु वह असफल रहे।

4. फिर वह अग्नि स्तम्भ ज्योतिर्लिंग में परिवर्तित हो गया तथा ब्रह्मा और विष्णु ने उनकी पूजा की तभी से वह शुभ रात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जानी गई।

5. कहा जाता है कि इसी दिन महादेव के 64 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे जिनमें से केवल 12 ही दृश्य है।

6. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन शिव पार्वती का विवाह हुआ था जिसमें सृष्टि के सारे जीव जन्तु सम्मिलित हुए थे।

7. इस दिन शिव उपासक पूरा दिन निराहार रह कर शिव पूजा करते है और रात्रि जागरण करके शिव को प्रसन्न करने की चेष्ठा करते है।

8. शिव का साधु जैसा रूप और साँप बिच्छुओं का साथ मनुष्यों को त्याग और जीव मात्र से प्रेम की शिक्षा देता है।

9. जैसा भोले बाबा का रूप निराला है वैसे ही उनकी पूजा भी निराली है वह आक, भांग, धतूरे जैसे जंगली फलो और बेल के पत्तो से ही प्रसन्न हो जाते है।

10. महादेव को प्रसन्न करने के लिये किसी आडम्बर की आवश्यकता नही होती वह थोड़े में ही प्रसन्न हो जाते है तभी तो भोले कहलाते है।

10 Line Maha Shivratri Short Essay Hindi- 3

1. शिव के अनेको नाम है, शंकर, भोले, महादेव, महाकाल, महारुद्र, नटराज, नीलकंठ, गंगाधर, शशिधर तथा शिव पुराण में उनके सहस्त्रों नामो के विवरण है।

2. भक्त जिस भी नाम से पुकारे वह दौड़े चले आते है औऱ माना जाता है कि शिव भोले को प्रसन्न करना सबसे सरल है।

3. रात्रि उन्हें विशेष प्रिय है इसलिए उन्होने फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को निशीथ काल में ही ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरण लिया।

4. तब से हर वर्ष यह रात्रि महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाने लगी इस दिन रात्रि जागरण और रात्रि पूजा का विशेष मह्त्व है।

5. वास्तव में शिव ही ब्रह्मांड का आदि कारण है। हम जानते है कि ब्रह्मांड में कितने ग्रह उपग्रह आकाशगंगाएँ है पर उसके अलावा चारो और जो शून्य है, अन्धकार है, जिसका आदि अन्त अभी तक कोई नही ढूंढ सका वही शिव है।

6. शिवरात्रि के दिन सुबह सवेरे नित्यकर्म से निवृत्त हो कर शुद्ध भाव से प्रभु शिव के व्रत का संकल्प लें और दूध, जल, बेल के पत्ते, धतूरा और बेर आदि से शिवलिंग की तथा पूरे शिव परिवार की पूजा करें।

7. शिव परिवार में माता पार्वती, श्री गणेश, श्री कार्तिक्य, नंदी और मूषक राज सम्मिलित है।

8. उसके बाद शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें तथा शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नही लगानी चाहिए।

9. फिर सारा दिन निराहार रह कर शिव का ध्यान करें और ओम नम: शिवाय का जाप करें तथा रात के चारो प्रहरोँ में शिव की पूजा करें।

10. साधारणत: लोग दिन में ही उपवास पूजा आदि करते है और फलाहार कर लेते है। सांसारिक मनुष्यों के लिए यही सही है। रात्रि जागरण वह ही करते है जिन्हें भौतिकता की नही आध्यात्म की पिपासा होती है।

10 Line Maha Shivratri Short Essay Hindi- 4

1. महाशिवरात्रि फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है इससे जुडी हुई कई पौराणिक कथायें है।

2. एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब अति विनाशकारी हलाहल विष निकला तो संसार को उसके ताप से बचाने के लिये महादेव ने उसे अपने कण्ठ में धारण कर लिया और नीलकंठ कहलाये तथा तब से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा।

3. इसमें बड़ा रोचक तथ्य भी है कि शंकर जी ने विष को गले से नीच नही उतारा ताकि उनके हृदय में वास करने वाले श्री हरि को कष्ट न हो।

4. सत्य है, जो श्रीहरि नारायण और महादेव में अन्तर करेगा उन्हें दोनो की ही कृपा से वंचित होना पड़ सकता है।

5. इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन को शिव पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था इसलिए कहीं-कहीं इस दिन शंकर जी की बारात भी निकाली जाती है।

6. पुराणो के अनुसार इसी दिन 64 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे जिनमें केवल 12 ही दर्शनीय है बाकियों का पता आजतक नही लग पाया है।

7. इस दिन भक्त गण दूध, जल, फल  बेल धतूरे आदि से शिव शंकर की पूजा-अर्चना करते है। धूप-दीप आदि से आरती करते है और हल्दी-चंदन का तिलक सुशोभित करते है।

8. इस दिन प्रथम देव को ही प्रथम बार अबीर-गुलाल आदि भी अर्पित किये जाते है उसके बाद ही होली की शुरुआत मानी जाती है।

9. इस दिन शिव चालीसा, शिव स्त्रोत, शिव पुराण का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना गया है।

10. जो मनुष्य इस दिन भाव भक्ति से महामृत्युन्जय मंत्र का जाप करता है वह लोक परलोक के बंधनो से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।

10 Line Maha Shivratri Short Essay Hindi- 5

1. महाशिवरात्रि का पर्व एक विशेष समय है जो पूरे वर्ष अपने कार्यों मे व्यस्त रहने वाले हम लोगो को उस शिव का स्मरण कराता है जो मृग छाल को वस्त्र बनाकर प्रकृति के सौंदर्य से दूर कैलाश पर जोगी वैरागी बन कर अपने हरि के ध्यान में मग्न है।

2. शिव का यह रूप हमें जीवन में सरलता, सादगी, अपरिग्रह, और त्याग को धारण करने के लिये प्रेरित करता है।

3. उनके एक हाथ में त्रिशूल है जो दुष्टों का संहार करने के लिये है और एक हाथ में संगीतमयी डमरू जो मनुष्य को कला से जुड़ने की प्रेरणा देता है।

4. शीश पर चन्द्रमा धारण किये हुए है जो शीतलता और सौम्यता का प्रतीक है।

5. केशों में गंगा को बांध कर एक कोमल धारा के रूप में पृथ्वी पर छोड़ कर उन्होने मानव को अपनी शक्तियों को विवेक रूपी बंधन में बांधने का संदेश दिया है।

6. ऐसे अनोखे निष्कामी श्री शिव के रूप को जो महाशिवरात्रि के दिन सद्भावना के साथ ध्याता है वह अवश्य ही शिवलोक को प्राप्त होता है।

7. कहने को उनकी पूजा दूध, जल, बेर, आक, धतूरा, बेल आदि से की जाती है पर किसी भी वस्तु का अभाव होने से पूजा अपूर्ण नही होती।

8. शिव भोले की पूजा के लिये तो केवल एक पवित्र हृदय की आवश्यकता है सत्य भावना से जैसे भी पूजा कर ली जाए वह स्वीकार कर लेते है।

9. हर वर्ष यह शुभ पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।

10. इस वर्ष अर्थात् 2021 में महाशिवरात्रि की पूजा का पावन अवसर 11 मार्च को आ रहा है।

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तो दोस्तों हमने आपको Maha Shivratri पर 10 लाइन निबंध अलग-अलग प्रकार के लिखे हैं अगर आपको हमारे यह निबंध पसंद आते हैं तो आप अपनी आवश्यकता के अनुसार स्कूलों में इनका इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही आपको भी इसके बारे में लोगों को अवगत करना चाहिए।

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HP Jinjholiya
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