Dahej Pratha- दहेज प्रथा एक अभिशाप निबंध

भारत देश विश्व मे यह बात तो बताता है कि महिलाएं देवी स्वरूप होती है परन्तु देश मे महिलाओं के खिलाफ काफी दुर्व्यवहार किये जाते है जिसमें असमानता, कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, घरेलू हिंसा और इसी में एक और प्रथा का नाम आता है वह है “दहेज प्रथा(Dahej Pratha)”

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) भारत मे लम्बें समय से चली आ रही एक ऐसी प्रथा हैं जिसमें विवाह के समय दुहले को पैसे, आभूषण, गहने, फनीर्चर, गाड़ी, इत्यादि संपत्ति देने की प्रक्रिया को दहेज प्रथा(Dahej Pratha) के नाम से जानना जाता है जिसका चलन दुनिया के कई देशों में है।

Dhej Parth eassy nibandh hindi me

भारत इस विश्व का सबसे प्राचीन देश है जो आज के वक्त तरक्की के नए मुकाम लिख रहा है औऱ कहते हैं समय के साथ इंसान और देश दोनों बदलतें हैं यह बात सत्य है भारत देश और भारतीय दोनों काफी बदल गए हैं परन्तु अभी तक देहज प्रथा जैसी कुर्तियां जैसे कि तैसी हैं जिसमें ज्यादा बदलाव नही हुआ है।

हालत यह है कि आज के समय मे विवाह के समय दुहले को पैसे, आभूषण, गहने, फनीर्चर, गाड़ी, इत्यादि संपत्ति देने की प्रथा चल रही हैं औऱ बहुत बार यह सुन को भी मिलता है कि दुहले या दुहले के परिवार ने शादी के लिए कार, बाइक, आभूषण, नगद पैसे इत्यादि की मांग की है।

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) समाज के लिए एक खतरनाक बीमारी की तरह हैं जिसका इलाज करने की आवश्यकता हैं क्योंकि यह कई बार कई ज़िंदगी बर्बाद कर देती है आज हम आपको देहज प्रथा पर अगल-अलग लम्बाई के निबंध प्रदान करने वाले हैं उम्मीद यह आपको पसंद आयगे।


दहेज प्रथा(Dahej Pratha) पर निबंध 150 शब्दों में

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) हमारे समाज के लिए एक अभिशाप की तरह हैं जो स्त्रीयों के साथ समाज में भेदभाव उत्पन्न करती हैं यह बीमारी मूलरूप से लालच की देन हैं जिसके लिए बेटियों के परिवारों पर विवाह करने पर सम्पति के रूप में नगद औऱ अन्य रूप में पैसों की डिमांड की जाती है।

आज आधुनिक दौर में भी यह प्रथा चल रही हैं जिसे आज समाजिक रूप से मान्यता प्रदान कर दी गई है क्योंकि लगता है समाज ने इसे स्वीकार कर लिया है इसलिए बिना दहेज के देश भर में एका-दुका ही शादियां देखने को मिलती हैं।

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) एक उपहार स्वरूप शरू हुई थीं जिसे अपनी मर्ज़ी और ख़ुसी अनुसार उपहारों को भेंट किया जाता हैं परन्तु आज स्थिति यह हो चुकी हैं कि इच्छा हो या न हों, आर्थिक स्थिति सही ही या न हों लेक़िन दहेज आमबात हो चुकी हैं और साथ ही जो दहेज जितना अधिक देता हैं उसका मान सम्मान समाज मे बढ़ता है यह मानसिकता समाज में बन चुकी हैं जिसके कारण दहेज प्रथा का चलन बढ़ता जा रहा हैं।


दहेज प्रथा(Dahej Pratha) पर निबंध 300 शब्दों के साथ

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) भारत में महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाली कई कुप्रथाओं में से एक है इस प्रथा में लड़की के परिवार के सदस्य अर्थात लड़की के माता-पिता उसकी शादी में उसके ससुराल वालों को धन लाभ देते हैं और दहेज देने की कोई सीमा नहीं होती हैं।

इसलिए कई मौकों पर लड़के के परिवार वाले इस बात का फायदा उठा लेते हैं और दुल्हन के परिवार वालों की आर्थिक स्थिति जानते हुए भी दहेज के लिए दबाव बनाते हैं कई बार दबाव इस कदर नई नवेली दुल्हन पर हावी हो जाता हैं कि उन्हें मौत को गले लगाना को विवश हो जाती है।

ऐसे नही है कि भारत सरकार द्वारा दहेज प्रथा के लिए कोई कानून नही बनाये गए हैं परंतु वह काननू सिर्फ़ किताबों के पन्नों तक ही सीमित हैं क्योंकि जमीनी स्तर पर इनका कोई लाभ होता दिखाई नहीं देता हैं या फिर सरकार कानून बनाकर भूल गयी है।

भारत की कई जगहों पर तो हालात यह है कि रिश्ते-नाते जुड़ने से पहले ही विवाह के लिए लड़के वाले अपनी डिमांड बता देते हैं औऱ जो उनकी डिमांड पूरी कर पाते है वह उनके साथ ही अपने लड़के के विवाह करते है हालांकि दहेज प्रथा(Dahej Pratha) को एक उपहार स्वरूप शरू किया गया था लेक़िन आज यह एक घातक बीमारी बन चुकी है जिसका शिकार कई परिवार होते हैं जिसे उनकी ज़िंदगी तहस-नहस हो जाती है।

दहेज प्रथा के मुख्य कारण

1. दहेज प्रथा(Dahej Pratha) को आज पंरपरा का रूप प्रदान कर दिया गया हैं

2. दहेज में अधिक से अधिक देने की प्रथा से समाज मे सम्मान बढ़ाता है यह मानसिकता पैदा हो गईं है।

3. दहेज प्रथा के लिए बनाये गए काननू का शक्ति से पालन नही किया जाता इसलिए यह चलन बढ़ता जा रहा है।

4. समाज मे अपनी प्रतिष्ठा बने के लिए कुछ लोग दहेज देते हैं


दहेज प्रथा(Dahej Pratha) पर निबंध 500 शब्दों के साथ

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) भारत की धरती पर लगा ऐसा श्राप है जिससे भारत देश की छवि काफी धूमिल हो चुकी है क्योंकि माँ-बेटियों को देवी कहने वाला यह देश तब अपने चेहरे से पर्दा हटाने पर मजबूर हो जाता है जब बेटियों के विवाह में बेटियों के घर वाले दूल्हे के घर वालों को राशि अदा करते हैं जिससे बेटियों की शादी-विवाह नहीं बल्कि एक व्यापार लगता है।

दहेज प्रथा एक जिस्म में लगे दाग जैसा है जो धुलने के बावजूद मिटता नहीं रहा है भारत माँ के जिस्म पर लगा इस दाग को मिटाना यहाँ के नागरिकों की जिम्मेवारी है परन्तु मिटाने का कष्ट कौन करें? क्योंकि भारत में भिन्न-भिन्न सोच के लोग रहते हैं और कुछ इस प्रथा को सही मानते हैं तो कुछ गलत? इसलिए हमें यह जानना होगा कि क्या इस देहज प्रथा का कोई गुण भी हैं या सिर्फ अवगुणों ने ही इस पर राज किया हुआ है।

दहेज प्रथा के गुण

दुनिया में मौजूद हर शख्स हर परिस्थितियों को दो भिन्न-भिन्न नजरों से देखता है और समझता है। हम एक नजर से किसी प्रथा को गलत ठहरा सकते हैं परन्तु दूसरी नजर से समझेंगे तो शायद उसी प्रथा को बेहतर समझ सके। दहेज प्रथा भी कुछ ऐसा ही स्थान रखती है एक नजर से यह प्रथा गलत लगती है तो वहीं दूसरी नजर से बेहतर दिखती है।

आज के वक्त में कुछ नए जोड़ो के लिए दहेज प्रथा काफी लाभदायक सिद्ध हो रही है दरअसल आज के युग में अधिकांश युवा शादी के बाद अपनी नई ज़िन्दगी शरू करने में मदत मिलती है इसलिए दहेज प्रथा ऐसे जोड़ो के लिए अच्छा लाभ पहुंचाती है। दहेज में मिली हुई राशि या कोई वस्तु उन जोड़े को अपनी नई जिंदगी शुरू करने में मदद करती है।

दहेज प्रथा के अवगुण

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) की गिनती भारतीय समाज में उन प्रथाओं में गिनी जाती है जो खुद एक समस्या होने के बावजूद अनेक समस्याओं को आमंत्रित करती है जैसे कि दहेज प्रथा के कारण लड़की के परिवार वालों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। लड़की के परिवार वाले लड़की के जन्म से ही उसकी शादी के बारे में चिंतित हो जाते हैं। कुछ परिवार वाले तो सक्षम होते हैं खर्चा उठाने के लिए परन्तु जो परिवार वाले सक्षम नहीं होते हैं वह अपनी फूल सी परी को खुद से अलग कर देते हैं जिसे आप कन्या भ्रूण हत्या कहते हैं।

कुल मिलाकर दहेज प्रथा(Dahej Pratha) के गुण और अवगुण दोनों मौजूद है परन्तु गुण सिर्फ एक ही है लेकिन अवगुण काफी अधिक है। दरअसल एक कहावत काफी मशहूर है “जब समस्या आती है तो एक नहीं आती बल्कि एक साथ दो या उससे अधिक आती है।” यह इस प्रथा पर भी लागू होती है और सच्चाई यही है कि दहेज प्रथा वाकई में एक गलत प्रथा है यह समाज में लड़का-लड़की में भेदभाव का मुख्य कारण बनता है। समाज में फैली हर कृतियों का अंत होना बेहद आवश्यक है ताकि भारत देश नई ऊंचाइयों को छूने में सक्षम बन सके।


दहेज प्रथा(Dahej Pratha) पर निबंध 1000 शब्दों के साथ

स्त्री यानी महिला दुनिया एवं देश की इज्जत है जिस देश में महिलाओं का आदर सम्मान किया जाता हो वह देश तरक्की के नए रास्ते ढूंढ ही लेता है और प्राचीन समय से भारत में स्त्रियों की उपाधि देवी के रूप में दी जाती है परन्तु दुर्भाग्य यह है कि इसी देश में कुछ माता-पिता भगवान से यह प्रार्थना करते हुए पाए जाते हैं कि उन्हें लड़की नहीं लड़का चाहिए।

लड़कियों पर समाज मे कई पाबंदी को बढ़ावा दिया जाता है एवं उन्हें बोझ समझा जाता है और कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, लड़का-लड़की में भेदभाव यह सब अत्याचार लड़कियों से किए जाते हैं इन्हीं अत्याचारों में एक प्रथा के नाम पर दहेज प्रथा भी चलाई जाती है।

दहेज प्रथा का अर्थ

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) भारतीय समाज में इस्तेमाल की जाने वाली एक ऐसी कुप्रथा है जिसके तहत वधु के माता-पिता वर के घरवालों को लाभ के रूप कई प्रकार की वस्तु प्रदान करते है यह लाभ धन या आभूषण या वाहन के रूप में दिए जाते हैं और वह प्रथा प्राचीन समय से चलती आ रही हैं वर्तमान स्थिति में भी यह काफ़ी फलफूल रही है।

कब रखा प्रथा ने कदम

भारत से जुड़े इतिहास की किताबें या इतिहासकारों से खोजने की कोशिश करेंगे तो भी इस प्रथा की शुरुआत असल में कौन से युग में हुई थी इसका पर्याप्त उत्तर तो शायद नहीं मिल पाए परन्तु भारत देश में हिन्दू धर्म के ग्रंथ महाभारत और रामायण में इसका उल्लेख मिल जाता है।

इन ग्रंथों के मुताबिक जब कंस की बहन देवकी जी की शादी वासुदेव जी से हुई तब देवकी जी की खुशी हेतु कंस ने देवकी जी के लिए काफी वस्तुएं और धन लाभ दिए ताकि उनकी बहन अपना नया जीवन बेहद खुशी से व्यतीत कर पाएं। इसके साथ रामायण में जब अयोध्या के राजा राम जी का विवाह देवी सीता से होने जा रहा था तब सीता माँ के पिता जनक ने राम जी को कई आभूषण भेंट किए।

लेकिन उस वक्त इस्तेमाल किए जाने वाली यह प्रथा एक सकारात्मक भूमिका निभाया करती थी लेकिन वक्त के साथ इस प्रथा ने अलग ही रूप धारण कर लिया अब इस प्रथा ने अपना मोड़ नकारात्मक की ओर मोड़ लिया है।

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) हत्यारी

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) का आरंभ उपहार के लिए हुआ था लेकिन अब यह प्रथा कई हत्यारों के आरोप में घिरी हुई है अगर एक शोध के मुताबिक देखा जाए तो दहेज प्रथा से तंग आकर मौत के आंकड़े में काफी इजाफा हुआ है खासकर साल 2007 से साल 2011 तक।

और 2012 में तो उस शोध के मुताबिक भारत में 8,233 मामलें सामने आए जिसमे दहेज मौत की अहम वजह थी अर्थात प्रति घंटे एक महिला देश को अलविदा कह जाती है दहेज प्रथा से पीड़ित होकर।

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) अभी तक क्यों चल रही है?

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है और इसके बारे में हर भारतीय जानता है और इसके दुष्परिणाम को भी जानते हैं लेकिन फिर भी यह प्रथा सालों से शादी में जरूरी रस्म के तौर पर इस्तेमाल में लाई जाती है। आखिर क्या कारण है कि इस प्रथा की नकारात्मक तस्वीरों को देखने के बावजूद इस प्रथा का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। जिनमें से कुछ कारण निम्मनलिखित हैं।

परंपरा है जी!

भारत मे हर प्रथा हर रस्म को निभाने का सबसे मुख्य कारण परंपरा है। हर विवाह समारोह में यह सुनने में जरूर आता है कि ‘हमारे पूर्वजों ने यह परंपरा बनाई है तो इसमें गलती नहीं होगी’ यही सोचते हुए ऐसी प्रथाओं का चलन आम रहता है। कई परंपरा दुनिया के सामने गलत साबित हो चुकी होती है लेकिन उसके बावजूद कोई इसके खिलाफ उंगली उठाने से परहेज करते हैं और परंपरा के आड़ में प्रथा को निभाने पर मजबूर हो जाते हैं।

इज्जत का सवाल है

हर इंसान को खुद की इज्जत बेहद प्यारी होती है। इंसान हर दिन एक मौके की तलाश में रहता है ताकि वह अपनी इज्जत समाज में बढ़ा सके लेकिन यही इज्जत बनाने की रेस में बने रहने के लिए लड़की के घरवाले भेंट में कार, फर्नीचर या अन्य महंगे सामानों को दहेज के रूप में भेंट कर देते हैं उनमें से अधिकांश सामान तो केवल समाज में इज्जत बनाने के लिए किए जाते हैं जबकि यह महंगे भेंट किए गए सामान कभी उन्होंने खुद के लिए भी नहीं खरीदे होते।

कानून कहाँ है?

भारत में हर दुष्ट कार्य करने वाले जेल में हो अगर भारत का कानून मजबूत हो हालांकि भारत सरकार ने कानून में कई संशोधन करते हुए सख्त कानून बनाए हैं जिससे दहेज प्रथा में अपराधियों को कड़ी सजा मिले लेकिन इन कानूनों को सख्ती से पालन नहीं किया जाता और साथ ही ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अधिकांश लोगों को कानून के बारे में ज्ञान नहीं जो जिसका मुख्य कारण भी है।

धाराएं दहेज प्रथा के खिलाफ

दहेज निषेध अधिनियम 1961 के तहत जो परिवार दहेज लेने या दहेज देने का काम करता है तो वह 5 साल जेल और रुपए 15000 जुर्माना देने का हकदार है। यह प्रावधान हालांकि काफी पुरानी है पर कानून मौजूद है।

धारा 498-A दहेज उत्पीड़न को रोकने में कारगर है। इस धारा के अंतर्गत अगर वधु के पति या उसके रिश्तेदार अगर वधु से उसके आर्थिक स्थिति से महंगी वस्तु को मांगने की जिद करते हैं तो वे कानून के तहत 3 साल जेल और जुर्माने के हकदार हैं। धारा 406 भी कानून में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस धारा के तहत अगर वर के परिवार वाले वधु के परिवार वालों की तरफ से दिए गए दहेज को वधु को समर्पित नहीं करते तो उन्हें 3 साल की जेल या जुर्माना देना होगा।

दहेज प्रथा(Dahej Pratha) समस्या का समाधान

समाज में समस्या है तो उसके समाधान भी आपके आसपास ही मौजूद है बस आपको उसे अपनी आंखों से तलाशना है। दहेज प्रथा कोई नई प्रथा नहीं है यह काफी पुराने समय से भारत में इस्तेमाल में लाई जाती है। अब दहेज प्रथा की समाधान पर नजर डालिए जो निम्मनलिखित है

शिक्षा है जरूरी

शिक्षा में इस समाज में फैली हर बुराई का जवाब है। शिक्षित व्यक्ति बाकी व्यक्तियों से अधिक हर परिस्थितियों को अपने तरह से सोचने और समझने की ताकत रखता है। शिक्षित होने का सबसे महत्वपूर्ण फायदा यह है कि शिक्षित व्यक्ति दहेज प्रथा जैसी अन्य प्रथा का मूल रूप समझ सकता है।

महिलाएं खुद पर निर्भर होना सीखें

आज के वक्त की महिलाएं खुद पर निर्भर होना जानती हैं और उन्हें खुद पर निर्भर होना आना भी चाहिए। हर लड़की के परिवार को सबसे पहले लड़की की शिक्षा पर और उसके बाद लड़की को जॉब दिलाने में कोशिश करना चाहिए ताकि लडकिया खुद पर निर्भर हो सके और शादी के बाद भी जॉब करें।

बचपन से समानता सिखाएं

पुरुष और स्त्रियां एक ही हैं जो कार्य को पुरुष जितनी बेहतर तरीके से कर सकते हैं ठीक उतने ही बेहतर तरीके से महिलाएं भी कर सकती है। यह सब परिवार वालों को बचपन से समझाना चाहिए। क्योंकि जो बातें बचपन मे सिखाई जाती है वह बातें लंबे समय तक ध्यान में रहती है!

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तो दोस्तों हमने आपको दहेज प्रथा(Dahej Pratha) के बारे में अलग-अलग लंबाई के निबंध लिखे हैं अगर आपको हमारे यह निबंध पसंद आते हैं तो आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनका इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही कुछ उलटफेर करके भी आप इन सोशल मीडिया निबंध का इस्तेमाल कर सकते हैं

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HP Jinjholiya
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