Pollution Essay- प्रदूषण की समस्या पर निबंध

Pollution जिसे हिंदी में प्रदूषण कहा जाता है आप सभी इसे परिचित होगें औऱ यह भी बलि-भांति जानते होंगे कि प्रदूषण(Pollution) न केवल हमारे जीवन के लिए बल्कि पृथ्वी के जीवन के लिए भी ख़तरनाक़ हैं फिर भी यह दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

जिसके सबसे बड़े जिम्मेदार हम लोग हैं क्योंकि मनुष्य ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरण में अनेकों प्रकार के बदलाव किया जिसे प्राकृतिक को बहुत नुकसान हुआ और प्राकृतिक का संतुलन बिगाड़ता जा रहा हैं।

nibandh Essay on Pollution pardudhan hindi me

प्राकृतिक के सबसे बड़े दुश्मन मानव हैं यह इस बात से साबित होता हैं कि कोरोना वायरस के दौरान जब सब लोग अपने घर मे थे तो प्राकृतिक अपने आप ही साफ़-स्वच्छ होने लगीं जिसके लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किये जाते थे जिसे अपने भी अनुभव किया होगा।

आज हम आपको प्रदूषण (Pollution essay) पर सभी महत्वपूर्ण जानकारी और छोटा, मीडियम औऱ लंबा हर तरह की लम्बाई के निबंध प्रदान करने वाले हैं उम्मीद है आपको हमारे द्वारा लिखे गए निबंध पसंद आयगे सबसे पहले कुछ जरूरी चीजें जान लेते है।

प्रदूषण का क्या अर्थ है?

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ दूषित पदार्थ है। यह दूषित पदार्थ या तत्व कभी कभी आंखों से दिखते हैं तो कभी कभी मात्र इसके खराब परिणाम से ही मालूम हो पाता है कि हमारे आस पास वातावरण दूषित हो चुका है।

इस प्रदूषण(Pollution) को बढ़ाने के आरोपी इंसान ही है जो अपने फायदे के लिए वातावरण पर अत्याचार कर रहे है जैसे कि पेड़ काटना या फिर ऐसे वस्तु के इस्तेमाल को बढ़ावा देना जो प्रकृति पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण(Pollution) के कई प्रकार धरती पर वातावरण में अदृश्य रूप में मौजूद है यह प्रदूषण लोगों एवं वातावरण में मौजूद हर जीव के जीवन पर प्रभाव डालने में सक्षम है इसके कुछ प्रकार इस तरह हैं- वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण

वायु प्रदूषण:- वायु अर्थात हवा जो हर व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि हवा में मौजूद ऑक्सिजन गैस व्यक्तियों के जीवन का मुख्य स्रोत है लेकिन हवा में मात्र ऑक्सिजन गैस की ही उपस्थित नहीं होती बल्कि आज के युग में वाहनों से निकलने वाला धुवाँ भी ऑक्सिजन युक्त हवा में मिश्रित हो गए हैं।

और जिस रफ़्तार से पेडों को काट जा रहा हैं उसी रफ़्तार से मनुष्य जीवन मे शुद्ध हवा की कमी होती जा रही हैं क्योंकि पेड़ ही हवा में शुद्धता प्रदान करते है लेकिन पेड़ की गिनती कम होने के कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है।

ध्वनि प्रदूषण:- इस तरह के प्रदूषण को आम जनता की भाषा में शोर कहते हैं समाज में मौजूद हर शख्स की सुनने की एक समान क्षमता होती है लेकिन ध्वनि अगर सहन शक्ति से ज्यादा अधिक शक्ति की हो तो वह प्रदूषित कैटेगरी में आ जाती है।

ध्वनि प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान देर रातों को होने वाले पार्टी देती है इन पार्टियों में बेहद तेज आवाज में गाने बजाएं जाते हैं इसमें पुराने वक्त के जनरेटर भी आते हैं इनकी आवाज बेहद अधिक रहती है।

जल प्रदूषण:- पानी यानी जल हमारे शरीर में 70 फीसदी हिस्सा रखता है धरती पर इंसानों की उपस्थिति का सबसे बड़ा कारण भी जल की उपलब्धि होना ही है औऱ नासा के वैज्ञानिक बाकी ग्रहों पर पानी की उपस्थिति की खोज ही करते हैं ताकि धरती जैसा एक अन्य ग्रह पा सके।

पानी की असल अहमियत मात्र वैज्ञानिक ही जानते हैं लेकिन बाकी के धरतीवासियों को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता वह पानी का गलत इस्तेमाल कर उसे प्रदूषित कर रहे हैं। घर का गंदा पानी बहकर नदी में प्रवेश कर रहा है औऱ पानी मे कूड़ा करकट डाला जा रहा है।

भूमि प्रदूषण:- मनुष्य द्वारा अनेकों तरीको से भूमि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और भूमि की उपजाऊ शक्ति पर इसका प्रभाव पड़ता हैं अक़्सर रसायनिक खादों, फैक्ट्रियों के कचरे, कीटनाशक दवाओं इत्यादि के कारण भूमि प्रदूषित होती जा रही हैं।

आज यह बात आम हो चुकी है कि किसान फसल उगाने के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते हैं ताकि फसल अपने तय समय से पहले उग जाएं लेकिन यही गलती भूमि अर्थात मिट्टी को प्रदूषित कर रहीं हैं और की उपजाऊ शक्ति को कम कर रही है।

प्रदूषण की समस्या से बचाव

प्रदूषण(Pollution) दुनिया की बेहद बड़ी एवं खतरनाक समस्या है लेकिन हर समस्या की तरह इसका भी हल मौजूद है परन्तु इस समस्या से निजात पाने के लिए हर इंसान को अपनी अहम भूमिका निभानी होगी औऱ निम्मनलिखित बचाव के तरीके को अपनाकर आप प्रदूषण से स्वंय को और पूरे देश को बचा सकते हैं।

कार पुलिंग:- भारत में यह चलन में तब आया जब दिल्ली में ओड इवन नियम को लागू किया गया इस तरीके के इस्तेमाल से प्रदूषण से तो वातावरण बचता है साथ ही में ईंधन की भी बचत होती है।

पटाखें को न कहें:- भारत में दिवाली बेहत महत्वपूर्ण त्यौहार है सभी देशवासी जो हिन्दू धर्म से तालुक्कत रखते हैं वह दिवाली त्यौहार को बेहद पसंद करते हैं लेक़िन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली मात्र दीप प्रज्वलित कर मनाई जाती हैं।

परन्तु समय के साथ इस त्यौहार की पहचान पटाखों ने ले ली औऱ पटाखें न ही केवल वायु प्रदूषण में वृद्धि लाते हैं बल्कि ध्वनि प्रदूषण में भी इजाफा लाते हैं इसीलिए दिवाली पर पटाखों को न कहकर व्यक्तियों को वातावरण को बचाने का प्रण लेना चाहिए।

रीसायकल:- किसी भी वस्तु या पदार्थ का पूरा इस्तेमाल किया जाना चाहिए अर्थात अगर कोई वस्तु फिर से इस्तेमाल में ली जा सकती है तो उसे फिर से इस्तेमाल करें इस प्रकिया को रीसायकल कहा जाता हैं यानी प्रत्येक चीज का जितना सँभव हो उतनी बार इस्तेमाल करें।

साफ सफाई रखकर:- अपने घर को जिस प्रकार साफ सुथरा रखते हैं ठीक उसी प्रकार अपने घर के आस पास के वातावरण को शुद्ध रखना भी हमारी ही जिम्मेदारी है औऱ इसे निष्ठा से निभाएं।


प्रदूषण पर निबंध
Essay on Pollution in Hindi Words 200

खुली हवा में सांस लेना और हरा भरा वातावरण हर जीव के जीवन के लिए एक सुनहरा उपहार है मनुष्य अपना जीवन प्रकृति के बिना सोच नहीं सकता क्योंकि मनुष्य का शरीर पाँच महत्वपूर्ण तत्वों से मिलकर बना है धरती, आसमान, हवा, पानी और आग।

मनुष्य का अंतिम सफर इन्ही पाँचो तत्व में ही मिल जाता है लेकिन यह दुर्भाग्य है कि इंसानों ने वातावरण को एक खिलौना समझ लिया है इसिलिए वह इस वातावरण में अपनी गलत हरकतों के कारण धरती पर प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहे है।

बदलाव इस समाज की सबसे बड़ी पहचान है इसी बदलाव को कुछ व्यक्ति तरक्की तो कुछ विनाश के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकि समाज में मौजूद हर व्यक्ति की अपनी अलग पसंद होती है एवं अपने खुद का अलग नजरिया होता है इसलिए कुछ के लिए गिलास में आधा भरा पानी है तो किसी के लिए आधा खाली गिलास होता है।

ठीक इसी प्रकार कुछ व्यक्तियों को घर की खिड़की से बाहर झांकने पर हरे भरे इलाके, खुशनुमा वातावरण पसंद आते हैं तो कुछ व्यक्तियों को बड़ी-बड़ी इमारत देखने में तसल्ली होती है।

हालांकि आज के 21वीं सदी में यह कहने में संकोच नहीं कि अधिक्तर व्यक्ति का रिश्ता अब वातावरण से टूटता जा रहा है वातावरण मनुष्य समाज के जीवन की कई जरूरी वस्तु मुहैया कराता हैं औऱ इसके बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती लेकिन इसके बावजूद इंसान इसको बर्बाद करने पर चला है।


प्रदूषण पर निबंध
Essay on Pollution in Hindi Words 300

प्रदूषण(Pollution) वातावरण में फैले उन तत्वों को कहा जाता है जो वातावरण को दूषित कर देता है। प्रदूषण शब्द असल में दो शब्दों के जोड़ से बना है जिसमें ‘प्र’ का अर्थ प्रकृति है अथवा दूषण का अर्थ ऐसे तत्व जो प्रकृति को असंतुलित कर रहे हैं।

समाज मे यह बात बार-बार कही जाती है कि हर जीव एक समान है परन्तु यह भूल जाते हैं कि उन्हें एक शक्ति मिली हुई जो उन्हें बाकी जीव से भिन्न बनाती हैं यह है उनकी दिमाग की शक्ति। व्यक्ति का दिमाग उसे हर परिस्थितियों को अच्छे से समझने का मौका देते हैं परन्तु विकास या तरक्की की सही समझ शायद मनुष्य नहीं समझ पाए हैं।

उनके मुताबिक तरक्की वही है जिसमें उन्हें अपने घर के बाहर की खिड़कियों में झांकने पर बड़ी इमारत दिखे, अर्थात वह सुंदरता दिखे जो मानव द्वारा बनाई गई है पर इसके कारण वह प्राकृतिक सुंदरता से वंचित रह जाते हैं।

प्रकृति का कुदरती रूप बेहद खूबसूरत होता है परन्तु मनुष्यों ने इस प्रकृति का अपने लिए इस्तेमाल कर उसकी रूपरेखा ही बदल दिया है जिसका परिणाम व्यक्तियों को रोग से जूझते हुए देखने को मिल रहा है।

समाज में फैली अधिकतर बीमारी का मुख्य कारण प्रदूषण(Pollution) का फैलना ही है। प्रदूषण के भिन्न-भिन्न प्रकार इंसानों पर रोगों की बौछार करने में सक्षम है। प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ होना, आंखों की रोशनी पर असर और खांसी, झुकाम सक्रिय रहते हैं इसके अलावा सिरदर्द एवं फेफड़ो में सक्रमण होना भी शुरू हो गया।

निष्कर्ष
प्रदूषण(Pollution) समस्या है परन्तु यह समस्या कुदरती नहीं है या फिर कुदरती भेंट स्वरूप धरतीवासियों को नहीं दी गई है कहने का अभिप्राय यह है कि प्रदूषण को समस्या हम मनुष्यों ने ही बनाया है और प्रदूषण को कम करना या पूर्ण रूप से खत्म करना भी हमारे हाथ ही है।


प्रदूषण पर निबंध 
Essay on Pollution in Hindi Words 500

बदलाव जीवन में बेहद जरूरी है वह बदलाव चाहे व्यक्ति में हो या देश में परन्तु क्या बदलाव को हम तरक्की कह सकते हैं? इस सवाल का जवाब थोड़ा मुश्किल है। सभी व्यक्तियों के लिए तरक्की के मायने अलग होते हैं परंतु तरक्की की जो परिभाषा समाज में स्थापित हुई है उसका अर्थ भिन्न है।

तरक्की का अर्थ है समाज और स्वंय में सकारात्मक बदलाव जिससे किसी अन्य को कोई नुकसान न पहुचे कहने का अर्थ यह है कि जिस दृश्य को देखकर हम तरक्की का नाम दे रहे हैं वह असल शब्दों में तरक्की नहीं बल्कि विनाश के तरफ समाज का बढ़ता हुआ कदम है।

यह वातावरण से की गई छेड़छाड़ है जिसका विनाशकारी रूप मनुष्य समाज को झेलना पड़ता है यह रूप सुनामी के रूप में आत है तो कभी अन्य रोगों के रूप में मनुष्य को अपने आघोष में ले लेता है।

प्रदूषण के रूप

प्रदूषण(Pollution) हमारे वातावरण में कई रूपो में मौजूद है परन्तु हम मनुष्य इसे नजर-अंदाज कर देते हैं प्रदूषण वातावरण में ही वातावरण का हिस्सा बन चुका है और वातावरण को असंतुलित कर रहा है वातावरण के अनेक रूपों में यह निम्मनलिखित हैं।

हवा में मौजूद प्रदूषण

जीवन जीने के लिए व्यक्ति का सांस लेना बेहद आवश्यक है अगर व्यक्ति सांस ले रहा है तो वह जीवित है परन्तु हवा में मौजूद गंदगी का शरीर के भीतर प्रवेश एक खतरनाक वायरस की भांति हैं इसलिए आज के युग में हवा भी सांस लेने के काबिल नहीं रही हैं।

परन्तु हवा में यह मौजूद गंदगी का मुख्य कारण हम मनुष्यों को ही जाता है क्योंकि तरक्की के नाम पर वातावरण से किया गया नुकसान हवा को दूषित करने का कार्य कर रहे हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो व्यक्ति ऑक्सीजन अपने भीतर लेता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है तो वहीं इसके विपरीत पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेता है और ऑक्सिजन छोड़ते हैं परन्तु व्यक्ति पेड़ काटकर हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को बढ़ावा दे रहे हैं।

पानी का प्रदूषण:-

“जल है तो जीवन है” या “जल है तो कल है” ऐसे कई स्लोगन दीवारों पर लिखे जाते हैं ताकि मनुष्य इसकी अहमियत को बढ़ावा देने पर ध्यान दें परन्तु जल का बेहद दुरुपयोग किया जा रहा है जैसे कि पानी में कूड़ा-करकट डालना जो बहते हुए नदी में मिल जाता है।

जिससे पानी में रहने वाले जीवों को हानि पहुंचती है और हवा में मौजूद प्रदूषण के कण बारिश के साथ घुल कर धरती पर आ जाते हैं जिसे भी पानी नदी को दूषित कर देते हैं।

ध्वनि प्रदूषण:-

जब किसी आवाज की सीमा सहन शक्ति से अधिक हो तो वह ध्वनि प्रदूषण के कैटेगरी में डाल दिया जाता है शोर से उतपन्न होती तरंगे सिर पर दर्द कर देता है और इसके साथ कान में भी दर्द उतपन्न कर देता है जो दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

भूमि प्रदूषण:-

भूमि अर्थात धरती। भारत में धरती को माँ स्वरूप पूजा जाता है परन्तु जिस प्रकार धरती को मनुष्यों ने गलत इस्तेमाल कर धूमिल कर दिया है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण रास्ते में फैले कूड़े के ढेर है।

निष्कर्ष

प्रदूषण(Pollution) के ऐसा तत्व है जो धीरे-धीरे चारों ओर फैल रहा हैं इसलिए इसे रोकने के लिए हम जागरूक रहना चाहिए क्योंकि छोटी-छोटी गलतियों से ही प्रदूषण की उत्तपत्ति होती हैं और गर हम इन्हीं ग़लतियो को न करे न हमारे आस पास का वातावरण अपने आप साफ़ सुधरा होता चला जायेगा।


प्रदूषण पर निबंध
Essay on Pollution in Hindi Words 700

प्रदूषण(Pollution) समाज में मौजूद वह आईना है जिसे व्यक्ति देखकर भी अनदेखा करना चाहते हैं परन्तु इसे पूर्ण रूप से अनदेखा नहीं कर पाते हैं क्योंकि इसका मुख्य कारण यह है की प्रदूषण मनुष्य द्वारा ही आमंत्रित किया गया एक मेहमान है।

एक ऐसा मेहमान जिसे मनुष्य ने हमेशा के लिए दुनिया का सदस्य बना दिया है जिसके स्वरूप मनुष्यों को अनेकों रोगों से सामना करना पड़ता है यह रोग प्रकृति से की गई शरारतों का परिणाम भी कह सकते हैं।

मनुष्य पहाड़ो पर साफ सुथरे वातावरण में रहना चाहते हैं परन्तु यह नहीं सोचता कि मात्र पहाड़ो पर ही प्रकृति अपना रूप क्यों दिखा पाती है? क्यों जमीनी इलाके में सुंदर प्रकृति का नजारा मात्र सोच में ही रह गया?

कहा जाता है कि प्रकृति अर्थात पर्यावरण कुदरत का दिया हुआ सबसे सुंदर उपहार है परन्तु इस उपहार का मनुष्य गलत इस्तेमाल करके इसे हानि पहुंचा रहे हैं औऱ हानि इस हद तक पहुंचाई गई है कि मनुष्यों पर कभी रोग का साया लगा रहता है तो कभी आपदा को झेलना पड़ता है।

प्रदूषण से पर्यटन की रफ्तार पर प्रभाव

देश की आर्थिक विकास भिन्न भिन्न क्षेत्र की स्थिति से नापी जाती है जिसे जीडीपी कहा जाता हैं देश की आर्थिक विकास में पर्यटक काफी अहम भूमिका निभाते हैं भारत भी इसी श्रेणी में आता है जिनके लिए पर्यटन विभाग की तरक्की से देश की तरक्की संबंधित है।

परन्तु भारत में फैली गंदगी जो कि यहाँ मौजूद देशवासियों की गलत हरकतों के कारण हुई है उसके कारण भारत का पर्यटन विभाग काफी कमजोर है किसी भी देश मे पर्यटक तब दाखिल होते हैं क्योंकि देश की सुंदरता और शुद्ध वातावरण उन्हें अपने ओर आकर्षित करते हैं लेक़िन भारत मे फैली गंदगी प्रदूषण उन्हें यहाँ रोकती है।

सरकार ने उठाए कदम

प्रदूषण(Pollution) से लड़ने के लिए भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने गांधी जी के जन्म उत्सव के उपलक्ष्य में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थीं इसका उद्देश्य देश को साफ सुथरा रखना है।

भारत दुनिया का सबसे पुराना देश है जहाँ के रीति रिवाज, उत्सव, कल्चर की पूरी दुनिया दीवानी है यही दीवानापन पर्यटकों को भारत पहुंचने के लिए आमंत्रित करते हैं परन्तु भारत का यह दुर्भाग्य है कि भारत का इतना मजबूत इतिहास होने के बावजूद यहाँ पर्यटकों की संख्या काफी कम हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का यह भी लक्ष्य की वह भारत को खुले में शौच मुक्त बना सकें परन्तु यह योजना मात्र उस प्रदूषण पर कारगर साबित होती है जो प्रदूषण आंख से देखे जा सकते हैं परन्तु जो दूषित तत्व वातावरण में घुल जाते हैं उससे निपटारा पाने के लिए व्यक्तियों का जागरूक होना बेहद आवश्यक है।

अपनाएं ये उपाय औऱ प्रदूषण को दूर भगाएं

प्रदूषण(Pollution) पूरी दुनिया के लिए एक भयानक समस्या बन चुकी है इससे बचने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है परन्तु अगर व्यक्ति पहले से ही वातावरण को हानि न पहुंचाता तो आज के वक्त शुद्ध वातावरण में जीवन व्यतीत करने का अवसर प्रदान होता।

पूरी दुनिया में प्रदूषण ने अपना भयानक रूप दिखाना शुरू कर दिया है भारत भी इस भयानक रूप का शिकार हो चुका है प्रदूषण में भारत की ही राजधानी दिल्ली को प्रथम स्थान प्राप्त है जहाँ सर्दी के महीने खासकर सांस लेने लायक हवा बिल्कुल न के बराबर मौजूद है इसलिए आप कई उपायों का इस्तेमाल करके अपने गाँव एवं शहर को प्रदूषण रहित कर सकते हैं।

ओड इवन:- इसमें एक दिन वह वाहन ही चल सकते हैं जिसके आखिरी संख्या 2 से भाग होती हो और अगले दिन वह संख्या दौड़ सकती है जो 2 से भाग न होती हो। इससे यह होगा कि रास्ते मे जाम कम लगा करेगा जिससे कारो से होने वाला वायु प्रदूषण में कमी होगी और साथ ही साथ ध्वनि प्रदूषण में भी गिरावट होगी।

कार पुल्लिंग:- इस उपाय का चलन भारत में ओड इवन नियम के लागू होने पर ही प्रचलित हुआ। इसके उदहारण में यह है कि मान लीजिए राम और श्याम दोनों एक ही कंपनी में कार्यरत हैं। परन्तु राम की गाड़ी की आखिरी संख्या इवन है तो श्याम की गाड़ी की आखिरी संख्या ओड।

इस उपाय के तहत जिस दिन मात्र इवन वाहन ही चलन में हो तो श्याम, राम के गाड़ी में जा सकता है। इससे यह होगा कि ईंधन भी बचेगा एवं शहर प्रदूषण से भी बचेगा।

पेड़ लगाएं:- देश में विकास की स्थापना करने के लिए भारत में हर दिन नई इमारत का निर्माण कार्य चलन में हैं परन्तु इस निर्माण में जंगलों एवं पेड़ो को काटकर नुकसान पहुंचाया जा रहा है। किसी भी देश में प्रदूषण को कम करने के लिए पेड़ो का होना बेहद जरूरी है।

यह अपनी भूमिका बेहद अच्छे से निभाता है। पेड़ वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को संतुलित करता है। व्यक्तियों को स्वंय से पेड़ लगाने की मुहिम चालू करनी चाहिए। पेड़ो और जंगल की अहमियत को समझना चाहिए।

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तो दोस्तों हमने आपको प्रदूषण(Pollution) के बारे में अलग-अलग लंबाई के निबंध लिखे हैं अगर आपको हमारे यह निबंध पसंद आते हैं तो आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनका इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही कुछ उलटफेर करके भी आप निबंध का इस्तेमाल कर सकते हैं

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HP Jinjholiya
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