Makar Sankranti- मकर सक्रांति पर निबंध

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Makar Sankranti-मकर सक्रांति भारत के प्रमुख त्यौहार में से एक है औऱ इस पर्व को कई नामों से जानना जाता हैं मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो संपूर्ण भारत में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है ना सिर्फ अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है बल्कि इसको मनाने के तरीके भी अलग-अलग है।

मकर संक्रांति से विभिन्न तर्क जुड़े हुए हैं कहा जाता है कि यदि इस दिन जो व्यक्ति पवित्र नदी जैसे-गंगा, यमुना आदि नदी में स्नान करते हैं उसके सभी पाप नाश हो जाते हैं साथ ही साथ इस दिन दान करने का भी अपना अलग महत्व है।

हमें स्कूलों व कॉलेजों में निबंध व भाषण-कविता लिखने के लिए दिए जाते है इसलिए आज हम आपको Makar Sankranti-मकर सक्रांति की जानकारी प्रदान करने वाले है औऱ साथ ही Makar Sankranti-मकर सक्रांति पर छोटा, मीडियम औऱ लंबा हर तरह की लम्बाई के निबंध प्रदान करने वाले हैं उम्मीद है आपको हमारे द्वारा लिखे गए निबंध पसंद आयगे

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Makar Sankranti-मकर सक्रांति पर 10 लाइन

1. मकर संक्रांति हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक ऐसा त्योहार है जो हर वर्ष एक सुनिश्चित तिथि पर आता है।

2. यह हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है।

3. परंतु बहुत वर्षों में एक आदि बार इसकी तिथि 13 या 15 जनवरी भी हो जाती है।

4. भारत देश के अलग-अलग राज्यों में इसको अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है उसी प्रकार इसको मनाने का तरीका भी अलग अलग होता है।

5. ऐसी मान्यता है कि अगर मकर सक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान किया जाए तो हमारे सभी पाप धुल जाते हैं।

6. अन्य त्योहारों की तरह इस त्योहार पर भी मिठाई बनाने का विशेष महत्व है औऱ उन मिठाई में गुड और तिल के लड्डू विशेष होते हैं।

7. यह त्योहार मुख्य रूप से पतंगबाजी करने का त्यौहार होता है।

8. सभी लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ पतंगबाजी का आनंद लेते नजर आते हैं।

9. मकर संक्रांति के बाद से भौगोलिक रूप से रातें छोटी और दिन लंबे होने प्रारंभ हो जाते हैं।

10. मकर संक्रांति मुख्यता आनंद, खुशी और आपसी मेलजोल बनाने का त्यौहार है।


मकर संक्रांति पर निबंध
Makar Sankranti Essay Hindi Word 100

Makar Sankranti-मकर सक्रांति हिंदू धर्म के त्योहारों में एक मुख्य त्यौहार के रूप में गिना जाता है मकर संक्रांति का संबंध देखा जाए तो सीधे रूप से इसका संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर रेखा पर होता है तथा यह भौगोलिक घटना होने की तिथि 14 जनवरी सुनिश्चित होती है।

इस त्योहार पर विभिन्न प्रकार की मिठाइयां बनाई जाती है जिसमें तिल और गुड़ के लड्डू विशेष रूप से बनाए जाते हैं इस त्यौहार से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि अगर इस त्योहार पर महिलाएं सुहाग की सामग्री आपस में आदान-प्रदान करें तो इससे पति की उम्र लंबी होती है।

हमारे देश के हर एक क्षेत्र में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है तथा इसको मनाने के तरीके भी अलग-अलग होते हैं कहीं इसे संक्रांति, कहीं पोंगल तथा कहीं बिहू आदि नामों से अलग-अलग जगह अलग-अलग नामों से जाना जाता है।


मकर संक्रांति पर निबंध
Makar Sankranti Essay Hindi Word 300

Makar Sankranti-मकर सक्रांति हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक मुख्य त्योहार है यह अधिकांश 14 जनवरी को मनाया जाता है परंतु कभी-कभी है तिथि 15 जनवरी भी हो जाती है। किसानों की नई फसल कटने के बाद की खुशी को इस त्यौहार के रूप में मनाते हैं क्योंकि फसल कटने पर किसानों के घर फसल से और उनके दिल खुशी से भर जाते हैं।

मकर संक्रांति की महत्वपूर्ण बातें

1. मकर संक्रांति ना सिर्फ भारत में बल्कि नेपाल और बांग्लादेश में भी बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है।

2. मकर संक्रांति संपूर्ण भारत में अलग-अलग रीति रिवाज से मनाई जाती है।

3. मकर संक्रांति पर लोग तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां खाना पसंद करते हैं।

4. गुजरात में इस दिन जगह-जगह पर पतंगबाजी के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

5. पंजाब में इसकी रौनक अलग ही दिखाई देती है उस दिन का भांगड़ा लोगों के अंदर उमंग भर देता है पंजाब में इसको लोहड़ी के नाम से भी जानते हैं।

6. उत्तर प्रदेश में इस दिन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना) में स्नान करने को बहुत महत्व दिया जाता है।

7. वही बंगाल में मकर संक्रांति के दिन मुख्य रूप से पीठा नामक मिठाई बनाई जाती है।

8. मकर संक्रांति का त्यौहार अधिकतर हर जगह 1 दिन का मनाया जाता है परंतु तमिलनाडु में पोंगल नाम से मनाया जाने वाला यह त्योहार 4 दिनों का होता है।

9. तिल और गुड़ की मिठाई के साथ-साथ इस पर्व पर दाल और चावल की खिचड़ी बनाने का भी अपना अलग ही महत्व है।

10. मकर संक्रांति के दिन दान देने से सूर्य देवता खुश होते हैं।

11. नेपाल में इस दिन राजकीय अवकाश होता है।

12. मकर संक्रांति का त्योहार इस बात का भी प्रतीक है कि वसंत ऋतु कुछ दिनों में शुरू होने वाली है।

13. इस त्यौहार को मनाने का उत्साह ना सिर्फ बड़ों में बल्कि बच्चों में भी बहुत अधिक देखा जाता है जिसका मुख्य कारण पतंगबाजी होती है।

14. कहने को तो यह त्यौहार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है परंतु इसका मुख्य उद्देश्य सभी लोगों में आपसी मेल मिलाप बढ़ाना और लोगों को हमारी भारतीय संस्कृति से जोड़ना होता है।

15. मकर संक्रांति के त्यौहार के बाद ही कुंभ के मेले का आयोजन होता है।


मकर संक्रांति पर निबंध
Makar Sankranti Essay Hindi Word 500

भारत त्यौहारों का प्रमुख देश है जहां रोज कोई न कोई उत्सव मनाए जाते हैं जिसमें से एक मकर संक्रांति भी है। एक तरीके से देखा जाए तो इस त्यौहार की तारीख निश्चित होती भी है और नहीं भी क्योंकि अधिकांश तो यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है परंतु कई सालों में कभी-कभी यह तारीख 13 या 15 भी हो जाती है।

किन नक्षत्रों में मनाया जाता है यह पर्व:-

पुराणों की मानें तो यह पावन त्यौहार सूर्य के उत्तरायण होने की दशा में मनाया जाता है कहा जाता है कि सूर्य उत्तरायण की दशा के बाद जब सूर्य मकर रेखा से होकर गुजरता है उसी भौगोलिक घटना को वैज्ञानिक रूप से मकर संक्रांति कहते हैं।

Makar Sankranti-मकर सक्रांति और पकवान:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग रूप से मनाई जाती है उसी प्रकार अलग-अलग क्षेत्रों में इस त्योहार पर पकवान भी विभिन्न प्रकार के बनाए जाते हैं दाल और चावल की बनी खिचड़ी इस पर्व पर मुख्य व्यंजन होता है।

जिसका भगवान को भोग लगाया जाता है तथा इस दिन खिचड़ी बनाकर जगह-जगह वितरित भी की जाती है खिचड़ी के साथ-साथ हमारे जीवन में मिठास लाने के लिए इस पर्व पर गुड और तिल के लड्डू बनाए जाते हैं तथा इस पर्व पर आने वाले मेहमानों को यह विशेष रूप से खिलाए जाते हैं।

मकर सक्रांति से जुड़ी है सुहागिनों की मान्यता:-

इस दिन सभी सुहागनें सुबह जल्दी उठकर पाठ पूजा करती है तथा फिर सब एक जगह मिलकर सूर्य भगवान की आराधना करती हैं तथा सुहाग का सामान एक दूसरे को भेंट करती हैं मान्यता है कि इस दिन सुहाग का सामान एक दूसरे को भेंट करने से सुहाग की आयु लंबी होती है।

मकर संक्रांति पर दान और स्नान का महत्व:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति से विभिन्न तर्क जुड़े हुए हैं कहा जाता है कि यदि इस दिन जो व्यक्ति पवित्र नदी जैसे- गंगा, यमुना आदि नदी में स्नान करते हैं उसके सभी पाप नाश हो जाते हैं साथ ही साथ इस दिन दान करने का भी अपना अलग महत्व है इस दिन सूर्य भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं और इस दिन किया गया दान महादान की गिनती में आता है।

क्यों मनाते हैं यह पर्व:-

यह पर्व मनाने के पीछे कई वैज्ञानिक मान्यता है तो कई सामाजिक मान्यता है एक मान्यता यह भी है की भीष्म पितामह जिनको यह वरदान था कि कोई उनका नाश नहीं कर सकता महाभारत काल के भीष्म पितामह ने इसी मकर संक्रांति के दिन को अपना शरीर त्यागा था।

निष्कर्ष:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति का पावन पर्व हमारी आजकल की पीढ़ी को मनोरंजन देने के साथ-साथ पाठ पूजा का भी ज्ञान देता है आजकल की पीढ़ी जो बस अपने में ही मगन रहती है पतंगबाजी के बहाने परिवार के साथ समय बिताती है। अतः यह त्यौहार कहीं ना कहीं पीडियो में आ रही दूरी को कम करता है।

संदेश:-

यह त्यौहार जिस प्रकार विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं वैसे ही इस त्यौहार से भी अलग-अलग कई संदेश मिलते हैं जैसे- गंगा में स्नान पाप के नाश का संदेश देता है। मीठा बांटना या मीठा खिलाना, मीठी वाणी का संदेश देता है और दान करना, किसी जरूरतमंद को खुशी देने का संदेश देता है।

सीख:-

जैसे-जैसे हम आधुनिक होते जा रहे हैं वैसे-वैसे हम अपनी संस्कृति से भी दूर जाते जा रहे हैं इस स्थिति में यह पावन त्यौहार हमें हर प्रकार से अपनी मिट्टी, अपनी सभ्यता से जोड़ता है जैसे पहले के समय में लोग गंगा में स्नान करना बहुत बड़ा काम मानते थे कि गंगा स्नान कर लिया, तो जीवन सफल हो गया।

परंतु आजकल का मनुष्य इन सब से दूर जाता जा रहा है आज इंसान दान करने को दिखावा बना चुका है अतः यह त्यौहार हमें सिखाता है कि गंगा आदि नदियों में स्नान करना कितना पावन होता है तथा दान ऐसे करना चाहिए कि किसी को पता भी ना चले, ना कि पूरी दुनिया में दिखावा करके।


मकर संक्रांति पर निबंध
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Makar Sankranti-मकर सक्रांति क्या है:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो संपूर्ण भारत में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है ना सिर्फ अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है बल्कि इसको मनाने के तरीके भी अलग-अलग है।

हमारे देश में ही नहीं यह त्योहार विदेशों में भी मनाया जाता है जिस प्रकार भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से प्रचलित है वैसे ही हर देश में भी इसको अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है यह हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।

मकर संक्रांति कब और कैसे मनाते हैं:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति का यह त्यौहार हर वर्ष 14 जनवरी या 15 जनवरी को मनाया जाता है जिस प्रकार सभी जगह इस को अलग-अलग नामों से पुकारते हैं वैसे ही इसको मनाने के तरीके भी अलग-अलग होते हैं जैसे किसी क्षेत्र में मकर संक्रांति पर नृत्य और गायन का ज्यादा जोर होता है कहीं-कहीं पर पतंगबाजी के कार्यक्रम आयोजित होते हैं किसी-किसी क्षेत्र में तिल और गुड़ की मिठाइयां विशेष तौर पर बनाई जाती हैं औऱ कहीं-कहीं पर इस दिन पवित्र नदियों जैसे- गंगा यमुना नदी में स्नान करने की प्रथा है।

क्योंकि इन पवित्र नदियों में इस दिन स्नान करने से कहा जाता है कि सारे पाप धुल जाते हैं। महाराष्ट्र में इस दिन लोग एक दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं तथा मकर सक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए एक वाक्य बोलते हैं-” तिल गुड, भगवान भगवान बोला।” इस वाक्य का अर्थ होता है- ” मीठा खाना तथा मीठा बोलना।”

भारत की तरह विदेशों में भी है इस त्यौहार के अलग-अलग नाम:-

1. थाईलैंड में मकर संक्रांति का त्यौहार सोंगक्रण नाम से जाना जाता है।

2. श्रीलंका में इसे उलावर थिरुनाल कहते हैं।

3. म्यांमार में लोग मकर संक्रांति के त्यौहार को थिंज्ञान कहते हैं।

4. नेपाल में यह त्योहार 2 नामों से प्रचलित है माघे संक्रांति तथा मगही।

5. कंबोडिया में मोहा संगक्रण बोलते हैं।

Makar Sankranti-मकर सक्रांति पर विभिन्न आयोजन:-

1. मकर संक्रांति आपसी भाईचारे और प्यार से भरा त्यौहार है।

2. मकर संक्रांति पर विभिन्न पवित्र नदियों जैसे गंगा-यमुना नदी के तटों पर स्नान करने के लिए कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

3. मकर संक्रांति को कई राज्यों में तो पतंगबाजी के उत्सव के नाम से जाना जाता है कई शहरों में पतंगबाजी के बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

4. मकर संक्रांति के दिन जगह-जगह खिचड़ी बांटने के कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।

5. वही बहुत सी जगह इस शुभ अवसर पर बड़ी मात्रा में दान पुण्य करने के लिए तथा हवन पूजन के आयोजन होते हैं।

क्या सकारात्मक प्रभाव होते हैं मकर संक्रांति की पूजा के:-

1. यह त्योहार भारतीय संस्कृति को बहुत अच्छे से दर्शाता है संस्कृति दर्शाने के साथ-साथ यह लोगों में मेलजोल की भावना को भी जागृत करता है।

2. मकर संक्रांति एक बहुत शुभ दिन होता है इस दिन जो काम शुरू किया जाता है उसमे सफलता प्राप्त होनी निश्चित होती है।

3. इस त्यौहार से लोगों के अंदर नई ऊर्जा चेतना पैदा होती है।

Makar Sankranti-पतंगबाजी के नकारात्मक प्रभाव:-

वैसे तो पतंगबाजी मस्ती से भरी होती है लोगों में पतंग उड़ाने का एक अलग ही उत्साह भरा होता है परंतु किसी-किसी पर इस उत्साह का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ जाता है जैसे- पतंगबाजी करते वक्त हमें यह ध्यान देना चाहिए कि पतंग से बंधा मंजा या डोर किसी पक्षी को कोई नुकसान न पहुंचाए।

क्योंकि अधिकतर देखा जाता है कि यह मंजा या डोर पक्षियों को जख्मी कर देते हैं वहीं दूसरी ओर पतंग उड़ाते वक्त बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए क्योंकि बहुत बार पतंग उड़ाने में लोग इतने खो जाते हैं कि उन्हें यह भी पता नहीं लगता कि उनके पैर किस तरफ बढ़ रहे हैं तथा वह किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

निष्कर्ष:-

अतः Makar Sankranti-मकर सक्रांति एक बहुत ही गतिविधियों से मिलकर बना त्यौहार है जिसमें ना सिर्फ मनोरंजन बल्कि पाठ पूजा का भी अपना अलग महत्व है साथ ही साथ भारतीय संस्कृति से आजकल की पीढ़ी को मिलवाना भी इस त्यौहार द्वारा सफल हो पाता है। मकर संक्रांति पर दान करने के बहाने से ही कितने ही जरूरतमंदों की पूर्ति हो पाती है अतः यह बहुत ही प्यार और उमंग से भरा त्यौहार होता है।

संदेश:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो ना सिर्फ भारत में अपितु विदेशों में भी बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जो यह संदेश देता है कि अलग-अलग देशों में होने के बाद भी हम किस प्रकार इस त्यौहार के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े हैं चाहे यह त्यौहार अलग-अलग देशों में अलग-अलग रीति-रिवाजों से मनाया जाए परंतु इसको मनाने का उद्देश्य तो एक ही होता है जो हमें अनेकता में एकता का प्रतीक दिखाता है।

सीख:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति का त्यौहार हर राज्य में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है और जैसे कि इस त्योहार पर गुड़ का मीठा बनाने तथा मीठा एक दूसरे को खिलाने की प्रथा है जो हमेशा यही सीख देती है कि चाहे कोई छोटा हो, चाहे किसी से हमारा कितना भी मनमुटाव हो परंतु किसी के साथ भी कटु भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए हमेशा मीठी भाषा बोलनी चाहिए।

ऐसी वाणी बोलिए, जो दिल में उतर जाए।
दूजे को ठेस नहीं, दिल को उसके सुकून पहुंचाए।


मकर संक्रांति पर निबंध
Makar Sankranti Essay Hindi Word 1000

प्रस्तावना:-

यह संपूर्ण भारत में मनाया जाने वाला बहुत बड़ा त्योहार है औऱ प्राचीन पुराणों की मानें तो इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश होता है इसलिए इस त्यौहार को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

इस दिन बनाई जाती है विशेष मिठाई:-

इस दिन बहुत से पकवान बनाए जाते हैं उत्तर प्रदेश में अधिकतर लोग इस दिन खिचड़ी बनाते हैं, पंजाब में खीर बनती हैं परंतु तिल और गुड़ के बने लड्डू इस दिन के विशेष पकवान होते हैं अधिकतर लोग मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू, घेवर, खिचड़ी आदि पकवान बनाते हैं।

तिल और गुड़ के लड्डू के अलावा विभिन्न प्रकार के गजक भी जो तिल या गुड़ की बनी होती है इस त्योहार पर लोगों को बहुत भाती हैं जैसे- गुड़ और मूंगफली की गजक, तिल और गुड़ की गजक पट्टी आदि।

अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम व अलग -अलग मनाने का तरीका:-

1. गुजरात और उत्तराखंड में मकर संक्रांति के त्योहार को उत्तरायण कहा जाता है।

2. उत्तर प्रदेश, पश्चिम विहार में इस त्यौहार को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।

3. हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा पंजाब इन तीन राज्यों में इसे माघी नाम से जाना जाता है।

4. राजस्थान में मकर संक्रांति के दिन पतंगे उड़ाई जाती है यह रंग बिरंगी पतंगे हमारे जीवन में विभिन्न रंग भरने के प्रयास करती हैं तथा राजस्थान में इस दिन सुहागन औरतें सूर्य भगवान की आराधना करती हैं।

5. किसान लोग अपनी नई फसल का कुछ हिस्सा दान देकर यह खुशी से भरा त्यौहार मनाते हैं।

6. कुछ लोग इस दिन दान देने पर विशेष जोर देते हैं क्योंकि मान्यता यह है कि इस दिन दान देने पर अन्य दिन की अपेक्षा अधिक पुण्य मिलता है।

7. इस दिन लोग कंबल, कपड़े, मिठाईयां, फल आदि गरीबों में बहुत खुशी खुशी बांटते हैं।

8. वही उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इस दिन पवित्र नदियों जैसे -गंगा, यमुना, सरस्वती आदि में स्नान करने की भी प्रथा है।

9. तमिलनाडु में इस पर्व को पोंगल के नाम से जाना जाता है यह पर्व यहां 4 दिन तक मनाया जाता है।

मकर संक्रांति का त्योहार कब मनाते हैं:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति का त्यौहार अधिकतर रूप से 14 जनवरी को मनाते हैं परंतु कभी-कभी है 14 जनवरी की बजाय 15 जनवरी को भी मनाया जाता है।

मकर संक्रांति मनाने की मान्यता:-

पुराणों की मानें तो मकर संक्रांति मनाने के पीछे विभिन्न मान्यताएं हैं परंतु सब मान्यताओं का मकसद लोगों को कुछ अच्छा सिखाना है उन मान्यताओं में से एक मान्यता यह है कि एक बार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ।

यह युद्ध 1000 वर्षों तक चला हजार वर्षों तक चलने के बाद मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु द्वारा इस युद्ध की समाप्ति करवाई गई वहां से ही बुराई का अंत हुआ और इस धरती पर सच्चाई के युग की शुरुआत हुई इसलिए इस दिन को एक महोत्सव के रूप में मनाते हैं।

मकर संक्रांति से जुड़ा वैज्ञानिक तर्क:-

इस त्योहार से कुछ वैज्ञानिक तर्क भी जुड़े हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो मकर संक्रांति से पूर्व सूर्य पूरब दिशा में उदय होता है तथा दक्षिण दिशा में अस्त होता है परंतु मकर संक्रांति के बाद सूर्य पूरब दिशा से उदय होकर उत्तरी गोलार्ध में अस्त होता है यही कारण है कि मकर संक्रांति से रातें छोटी हो जाती हैं तथा दिन बड़े।

मकर संक्रांति का महत्व:-

इस त्यौहार को मनाने के अपने बहुत से महत्व है जिसमें से कुछ ऐतिहासिक है तो कुछ सामाजिक। ऐतिहासिक महत्व भगवान सूर्य और उनके पुत्र शनि से जुड़ा है कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य उनके पुत्र शनि से मिलते हैं शनि जो है वह मकर राशि के स्वामी है। अतः इस मिलन को उत्सव का रूप देकर मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं।

हर त्यौहार की भांति इस त्यौहार का भी अपना एक अलग ही सामाजिक महत्व है जैसे संपूर्ण भारत में यह कितने अलग-अलग नामों से जाना जाता है, कितने ही अलग-अलग नीति नियम के अनुसार मनाया जाता है फिर भी इस त्योहार का मकसद आपसी प्रेम बढ़ाना होता है।

इस व्यस्त जीवनशैली में चाहे लोग कितने भी व्यस्त हो जाए परंतु यह उत्सव उनको आपस में जोड़ें रहते हैं क्योंकि आजकल के इस आधुनिक युग में यह त्यौहार ही है जिन्होंने हमें व्यक्तिगत रूप से आपस में जोड़ रखा है।

मकर संक्रांति के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:-

1. मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल आदि देशों में भी मनाया जाता है।

2. पतंगबाजी जो मकर संक्रांति का एक मुख्य आयोजन कहा जाता है उससे जुड़ी मान्यताएं यह है कि इस दिन प्रभु श्रीराम ने पतंग उड़ाने की शुरुआत की थी जो एक परंपरा बन गई।

3. इस दिन जगह-जगह पर खिचड़ी बनाकर वितरित की जाती है।

4. मान्यता यह है कि मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा ने धरती पर अवतार लिया था।

5. इस त्यौहार से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि भीष्म पितामह ने इस दिन अपना नसवार शरीर त्यागा था।

6. कहा जाता है कि मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो पृथ्वी पर रहकर सूर्य की स्थिति को देखकर मनाते हैं।

7. मकर संक्रांति के दिन से ही देवी देवताओं द्वारा दिनों की गणना प्रारंभ की जाती है।

8. कहा जाता है कि इस दिन भगवान आशुतोष ने विष्णु जी को ‘आत्मा क्या है ‘इसका बोध करवाया था।

कैसे करते हैं मकर संक्रांति की पूजा:-

1. सर्वप्रथम पूजा करने के लिए सही मुहूर्त का पता होना चाहिए जिसके लिए पंचाग देखें।

2. पूजा जिस स्थान पर करनी है वहां अच्छे से साफ सफाई करें।

3. मकर संक्रांति की पूजा सूर्य भगवान के लिए की जाती है।

4. मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू का अपना अलग ही महत्व होता है इसलिए मकर संक्रांति की पूजा में भी तिल के लड्डू रखे जाते हैं। पूजा के लिए काले और सफेद दोनों प्रकार के तिल से बने लड्डू, व कुछ दक्षिणा रखी जाती है।

5. लड्डू के साथ-साथ पूजा का अन्य सामान जैसे- चावल, आटा, हल्दी, मिश्री, सुपारी, पान के पत्ते, गंगाजल, फूल आदि भी रखे जाते है।

6. पूजा प्रारंभ की जाती है प्रसाद स्वरूप सामान जो सूर्य भगवान को अर्पित करना होता है वह अर्पित करके आरती की जाती है।

7. अंत में 108 बार सूर्य भगवान के नाम का उच्चारण किया जाता है।

उपसंहार:-

अतः चाहे देश और विदेश में इसके नाम अलग-अलग है इस त्यौहार को मनाने के तरीके भी कितने अलग हो परंतु मकर संक्रांति हर रूप में आनंद और खुशी बांटने का त्यौहार है और आपसी भाईचारे को बढ़ाता है।

संदेश:-

भारत देश एक ऐसा देश है जहां रोजाना कभी कोई छोटा या बड़ा उत्सव समाज द्वारा मनाया जाता है यह उत्सव ही तो है जो आजकल के युग में भी लोगों को आपस में जोडे हुए हैं इन त्योहारों में से ही मकर संक्रांति का त्योहार जो हमें संदेश देता है परिवर्तन का।

परिवर्तन भौगोलिक रूप से भी तथा सामाजिक रूप से भी भौगोलिक रूप से परिवर्तन होता है कि इस दिन से दिन बड़े व रातें छोटी हो जाती है तथा सामाजिक रूप से इस दिन से समाज में खुशहाली आती है किसानों के लिए यह सबसे बड़ा खुशी का दिन होता है।

खुशियों की बहार आने वाली है ।
कर लो सब तैयारी, मकर संक्रांति आने वाली है।
भूलेंगे सारे गम और मिलकर इसे मनाएंगे।
मस्ती का त्योहार है, मिलकर खुशियां ही खुशियां उड़ाएंगे।

सीख:-

Makar Sankranti-मकर सक्रांति का दिन दान करने के लिए बहुत ही शुभ दिन कहा जाता है परंतु साथ ही साथ यह त्यौहार हमें यह सीख भी देता है कि दान पुण्य करने के लिए कोई एक दिन विशेष नहीं होता अगर हम सामर्थ्य हैं तो लोगों में खुशियां बांटते रहना चाहिए औऱ विशेष दिन की इंतजार नहीं करनी चाहिए।

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तो दोस्तों हमने आपको Makar Sankranti-मकर सक्रांति के बारे में अलग-अलग लंबाई के निबंध लिखे हैं अगर आपको हमारे यह निबंध पसंद आते हैं तो आप अपनी आवश्यकता के अनुसार स्कूलों में इनका इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही आपको भी इसके बारे में लोगों को अवगत करना चाहिए।

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