पूर्णिमा के दिन का हिन्दू धर्म मे ख़ास महत्व हैं और ज्योतिष शस्त्रों के अनुसार इसका मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता हैं इसलिए हर साल कुल मिलकर 12 पूर्णिमा होती हैं साथ ही 12 अमावस्या होती हैं इसलिए Purnima कब हैं और कौनसी तारीख़ इसका विशेष महत्व है।
दरसल, हिन्दू पंचांग के अनुसार जोकि विक्रम संवत् कैलेंडर पर आधारित होता है इस संवत् में 12 महीने होते हैं और महीनों की तिथियां चन्द्र कला यानी चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं जिसके अनुसार एक माह में 30 दिन होते है।
और एक माह को दो पक्ष में बाँटा गया हैं औऱ प्रत्येक पक्ष में 15-15 दिन होते हैं यानी 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते हैं जिसकी अंतिम तिथि को अमावस्य कहते हैं इसी प्रकार 15 दिन शुक्ल पक्ष के होते हैं जिसकी अंतिम तिथि को Purnima कहते हैं।
अर्थात हर वर्ष 12 माह होते हैं औऱ हर माह में 30 दिन जिसमें से एक पूर्णिमा औऱ अमावस्य होती हैं जिसका अर्थ है कि हर महीने एक पूर्णिमा औऱ अमावस्य होती हैं जो पूरे साल में 12 हो जाती हैं इस तरह आप Purnima को समझ सकते हैं।
Purnima का हिन्दू परम्परा में विशेष महत्व है तथा पूर्णिमा के दिन हिन्दुओं के कई त्यौहार आतें है साथ ही पूर्णिमा के दिन चंद्रमा आकाश में गोलाकार में दिखाई देता है जिसका मानव पर गहरा प्रभाव पड़ता हैं।
Purnima कब हैं 2023 में
Phalguna, Shukla Purnima 2023 March
व्रत का नाम | फाल्गुन पूर्णिमा व्रत |
व्रत की तिथि | 07 मार्च 2023 |
व्रत का दिन | मंगलवार |
व्रत की शुरुआत | 06 मार्च, सायं 04:17 बजे |
व्रत का समापन | 07 मार्च, सायं 06:10 बजे |
Chaitra, Shukla Purnima 2023 April
व्रत का नाम | चैत्र पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 05 अप्रैल 2023 |
व्रत का दिन | बुधवार |
व्रत की शुरुआत | 05 अप्रैल, प्रातः 09:19 बजे |
व्रत का समापन | 06 अप्रैल, प्रातः 10:04 बजे |
Vaishakha, Shukla Purnima 2023 May
व्रत का नाम | बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 05 मई 2023 |
व्रत का दिन | शुक्रवार |
व्रत की शुरुआत | 04 मई, रात्रि 11:44 बजे |
व्रत का समापन | 05 मई, रात्रि 11:04 बजे |
Jyeshtha, Shukla Purnima 2023 June
व्रत का नाम | देव स्नान पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 03 जून 2023 |
व्रत का दिन | शनिवार |
व्रत की शुरुआत | 03 जून 2023 प्रातः 11:17 बजे |
व्रत का समापन | 04 जून 2032 प्रातः 09:11 बजे |
Ashadha, Shukla Purnima 2023 July
व्रत का नाम | गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 03 जुलाई 2023 |
व्रत का दिन | सोमवार |
व्रत की शुरुआत | 02 जुलाई, रात्रि 08:21 बजे |
व्रत का समापन | 03 जुलाई, सायं 05:08 बजे |
Shravana, Shukla Purnima 2023 August
व्रत का नाम | श्रावण पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 01 अगस्त 2023 |
व्रत का दिन | मंगलवार |
व्रत की शुरुआत | 01 अगस्त, तड़के 03:51 बजे |
व्रत का समापन | 02 अगस्त 2023, रात्रि 12:01 बजे |
Shravana, Shukla Purnima 2023 August
व्रत का नाम | श्रावण पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 30 अगस्त 2023 |
व्रत का दिन | बुधवार |
व्रत की शुरुआत | 30 अगस्त, प्रातः 10:58 बजे |
व्रत का समापन | 31 अगस्त, प्रातः 07:05 बजे |
Bhadrapada, Shukla Purnima 2023 September
व्रत का नाम | भाद्रपद पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 29 सितंबर 2023 |
व्रत का दिन | शुक्रवार |
व्रत की शुरुआत | 28 सितंबर, सायं 06:49 बजे |
व्रत का समापन | 29 सितंबर, दोपहर 03:26 बजे |
Ashwina, Shukla Purnima 2023 October
व्रत का नाम | शरद पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 28 अक्टूबर 2023 |
व्रत का दिन | शनिवार |
व्रत की शुरुआत | 28 अक्टूबर, प्रातः 04:17 बजे |
व्रत का समापन | 29 अक्टूबर, रात्रि 01:53 बजे |
Kartika, Shukla Purnima 2023 November
व्रत का नाम | कार्तिक पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 27 नवंबर 2023 |
व्रत का दिन | सोमवार |
व्रत की शुरुआत | 26 नवंबर, दोपहर 03:53 बजे |
व्रत का समापन | 27 नवंबर, दोपहर 02:46 बजे |
Margashirsha, Shukla Purnima 2023 December
व्रत का नाम | मार्गशीर्ष पूर्णिमा |
व्रत की तिथि | 26 दिसंबर 2023 |
व्रत का दिन | मंगलवार |
व्रत की शुरुआत | 26 दिसंबर, प्रातः 05:46 बजे |
व्रत का समापन | 27 दिसंबर 2023 प्रातः 06:02 बजे |
पूर्णिमा के प्रकार औऱ नाम की जानकारी
जैसा कि हमने आपकों बताया कि हर वर्ष 12 माह होते हैं औऱ हर माह में 30 दिन जिसमें से एक पूर्णिमा औऱ अमावस्य होती हैं जिसका अर्थ है कि हर महीने एक पूर्णिमा औऱ अमावस्य होती हैं औऱ अगर साल की बात करें तो 12 हो जाती हैं।
कृष्ण पक्ष की पहली तिथि को कृष्ण प्रतिपदा औऱ अंतिम तिथि आमवस्या कहते हैं और शुक्ल पक्ष की पहली तिथि शुक्ल प्रतिपदा और अंतिम तिथि पूर्णिमा कहते है। कृष्ण पक्ष औऱ शुक्ल पक्ष के नाम इस प्रकार हैं-
शुक्ल पक्ष के नाम
1. प्रतिपदा 2. द्वितीया 3. तृतीया 4. चतुर्थी 5. पंचमी 6. षष्ठी 7. सप्तमी 8. अष्टमी 9. नवमी 10. दशमी 11. एकादशी 12. द्वादशी 13. त्रयोदशी 14. चतुर्दशी 15. पूर्णिमा
कृष्ण पक्ष के नाम
1. प्रतिपदा 2. द्वितीया 3. तृतीया 4. चतुर्थी 5. पंचमी 6. षष्ठी 7. सप्तमी 8. अष्टमी 9. नवमी 10. दशमी 11. एकादशी 12. द्वादशी 13. त्रयोदशी 14. चतुर्दशी 15. अमावस्या
साल की 12 पूर्णिमाओं के नाम
1. चैत्र पूर्णिमा |
2. वैशाख पूर्णिमा |
3. ज्येष्ठ पूर्णिमा |
4. आषाढ़ पूर्णिमा |
5. श्रावण पूर्णिमा |
6. भाद्रपद पूर्णिमा |
7. आश्विन पूर्णिमा |
8. कार्तिक पूर्णिमा |
9. मार्गशीर्ष पूर्णिमा |
10. पौष पूर्णिमा |
11. माघ पूर्णिमा |
12. फाल्गुन पूर्णिमा |
पूर्णिमा वाले त्यौहारों का संक्षिप्त विवरण:
1. हनुमान जयंती:
यह चैत्र महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं तथा इस दिन हनुमान जी के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। हनुमान जी को प्रसाद में लड्डू और जनेऊ चढ़ाया जाता है साथ में सिंदूर और चांदी वर्क भी अर्पित किया जाता है।
इस दिन श्रद्धालु सुंदर काण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा जाता है औऱ मान्यता है बजरंग बली की पूजा करने से संकट और कष्ट टल जाते हैं।
2. बुद्ध पूर्णिमा:
मान्यता है कि भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी में बैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था साथ ही बुद्ध को निर्वाण अर्थात् ज्ञान प्राप्ति और महानिर्वाण अर्थात् मोक्ष प्राप्ति भी इसी दिन हुआ था।
भगवान बुद्ध ने ही बौद्घ धर्म की स्थापना की थी औऱ भगवान बुद्ध को हिन्दू धर्मावलंबियों में विष्णु का नौवें अवतार के रूप में माना जाता है तथा इस दिन कुशीनगर में जहां भगवान बुद्ध ने महानिर्वाण प्राप्त किया था वहां मेला लगता है यह त्यौहार भारत, चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम इत्यादि देशों में धूम धाम से मनाया जाता है।
3. वट सावित्री:
यह सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए किया जाने वाला व्रत है जो ज्येष्ठ पूर्णिमा को संपन्न होता है मान्यता है कि वट वृक्ष में विष्णु, ब्रह्मा और महेश का वास होता है। इस व्रत में भगवान लक्ष्मी नारायण और शिव पार्वती की पूजा की जाती है साथ ही वट वृक्ष की पूजा भी की जाती है और सत्यवान सावित्री कथा पढ़ी जाती है।
4. गुरु पूर्णिमा:
गुरु पूर्णिमा हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म में मनाया जाता है तथा भारत नेपाल भूटान आदि देशों में प्रचलित है जिसे आषाढ़ पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पूर्णिमा आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति कृतज्ञता अर्पित करने के लिए मनाया जाता है इस दिन गुरुओं की पूजा की जाती है।
गुरु को भारतीय परंपरा में ईश्वर का स्थान दिया गया है और इस दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का भी जन्मदिन माना जाता है तथा इस दिन महात्माओं, धर्मगुरु, साधु-संतों के मठों में पूजा-पाठ का कार्यक्रम होता है।
5. रक्षाबंधन:
रक्षाबंधन सावन महीने के पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन बहन-भाइयों को रेशमी धागा बांधती है जिससे रक्षा कहते हैं बदले में भाई बहन को रक्षा करने का वादा करते हैं साथ ही कुछ उपहार भी भेंट करते हैं।
6. उमा महेश्वर व्रत:
नारद पुराण के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन यह त्यौहार व्रत मनाया जाता है जिसमें शिव पार्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है औऱ उनका पूजन किया जाता है।
भगवान को धूप, दीप, गंध, फूल, फल, नैवेद्य समर्पित किया जाता है इस व्रत में एक समय निराहार रह जाता है और दूसरे समय भोजन किया जाता है यह सौभाग्य का व्रत है।
7. शरद पूर्णिमा:
यह आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है इस दिन उपवास रखकर लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसे कोजागर व्रत भी कहा जाता है।
मान्यता है कि रात्रि में चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है इसलिए शाम के समय खीर बनाकर रखा जाता है जो सुबह प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है इस पूर्णिमा से सर्दी का आगमन भी हो जाता है।
8. गुरु नानक जयंती:
गुरु नानक देव सिख पंथ के संस्थापक थे साथ ही सिख धर्म के पहले धर्मगुरु भी थे औऱ गुरु नानक देव का जीवन निराकार वृत्ति को समर्पित था उन्होंने कई काव्य रचनाएं की जिन्हें गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मिलित किया गया।
कार्तिक पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है उनका जन्म तलवंडी लाहौर में हुआ था साथ ही कार्तिक पूर्णिमा देवी वृंदा यानी तुलसी और विष्णु के विवाह के लिए भी जाना जाता है वकार्तिक महीने में सुबह स्नान के बाद तुलसी पूजन का विशेष महत्व है जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन संपन्न हो जाता है।
9. शाकंभरी जयंती:
मार्कंडेय पुराण के अनुसार शाकंभरी देवी की जयंती पौष पूर्णिमा को माना जाता है जब दानवों के कारण धरती पर अकाल पड़ा था तब मां दुर्गा ने शाकंभरी रूप में अवतार लिया था। शाकंभरी देवी की 1000 आंखें थी और वह भक्तों के दयनीय रूप पर रोती रही जिससे धरती पर दोबारा हरियाली आई।
10. रविदास जयंती:
रविदास या रैदास निर्गुण परंपरा के बहुत बड़े संत थे उन्होंने अनेकों काव्य रचनाए की उनकी कई काव्य छंद गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मिलित हैं उन्होंने अपनी जाति को चमार बताया है यह पूर्णिमा रैदासियों में, सिक्खों में, दलित जातियों में बहुत ज्यादा प्रचलित हैं।
माघ पूर्णिमा में संगम स्नान का विशेष महत्व है इस दिन श्रद्धालुओं का एक बड़ा समूह प्रयागराज में गंगा यमुना के संगम पर स्नान करने पहुंचता है साथ ही माघ में लगने वाला मेला भी प्रसिद्ध है।
11. होली:
होली विक्रम संवत की अंतिम तारीख होती है औऱ अगले दिन से नया वर्ष शुरू हो जाता है इसलिए इसका एक अलग उमंग होता है। होली रंगों का त्योहार है तथा होली के 1 दिन पहले होलिका जलाई जाती है और होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग, गुलाल, अबीर इत्यादि लगाते हैं।
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पूर्णिमा का महत्त्व:
पूर्णिमा यूं तो एक महीने का अंतिम दिन होता है और अगले महीने का पहला दिन। एक महीना बेहतर ढंग से बीतने खातिर ईश्वर को धन्यवाद अर्पित किया जाता है।
हालांकि इसका वैज्ञानिक महत्व ज्यादा है वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा के स्थिति के कारण ज्वार-भाटा का स्वरूप तय होता है चंद्रमा जैसे-जैसे पृथ्वी के निकट आता है वैसे-वैसे ज्वार भाटे की संभावना बढ़ती है औऱ माना जाता है कि इसका पृथ्वी और मानव दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
पूर्णिमा चन्द्र कला से परिनिर्मित होता है व चंद्रमा का आकार प्रति दिन परिवर्तित होता है जिसे मानव जीवन की परिस्थितियां ठीक उसी तरह से बदलती रहती हैं। पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा और फाल्गुन पूर्णिमा का विशेष महत्व है।
शरद पूर्णिमा, सर्दी के आगमन का सूचना देता है वैसे ही फाल्गुन पूर्णिमा गर्मियों के आगमन की तैयारी करता है तथा माघ मेला में संगम स्नान का विशेष महत्व है। कुछ लोग वर्ष के सभी पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत कथा करवाते हैं इसका विशेष फल मिलता है।
तो आज हमने आपको पूर्णिमा कब है और क्यों मनाया जाता है इत्यादि की के बारे में विस्तार से बताया है उम्मीद की इस आर्टिकल को पढने के बाद आपको पूर्णिमा के बारे में अच्छी तरह जानने में मद्त मिली होगी।
अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आता है तो पूर्णिमा कब है इस बारे में उन्ह सभी को बताने के लिए शेयर के जिनके लिए बहुत महत्वपर्ण है और जिनको पूर्णिमा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है
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