आज हम एक ऐसे पवित्र दिन के बारे में बात करने जा रहे हैं जो हिंदू संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है जिसका नाम “एकादशी” है इसलिए अगर आप एकादशी कब है और Ekadashi से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त करना चाहते है जैसे एकादशी कब है, एकादशी तारीख और समय क्या है और एकादशी कौन से महीने में कब है इत्यादि।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में 2 पक्ष होते हैं कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष और दोनों पक्षों की 11वीं तिथि को एकादशी कहा जाता है एकादशी व्रत के दौरान लोग भगवान विष्णु की आराधना करते हैं तथा भगवान विष्णु की आराधना के लिए एकादशी व्रत विशेष माना जाता है।
हर साल कम से कम 24 बार एकादशी हो सकती है और यह अधिकतम 26 तक हो सकती है जबकि हर महीने में दो बार एकादशी होती है जो क्रमशः शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के अंतर्गत 11वीं तिथि एकादशी होती है।
तो चलिए अब जानते हैं इस साल एकादशी कब है और 2023 में एकादशी किस महीने में किस तारीख पर आती है देखते हैं।
एकादशी शब्द एक सस्कृत का शब्द है और जिसका अर्थ ही “ग्यारहवीं” होता है और जैसा कि हमने आपको बताया साल में 12 महीने होते हैं और हर महीने में आमतौर पर दो एकादशी होती है जोकि कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि के अंतर्गत आती है।
एकादशी मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए जानी जाती है जिसमें भगवान विष्णु भगत व्रत रखते हैं तथा भगवान विष्णु की कथाएं सुनाई जाती है और भजन कीर्तन ध्यान इत्यादि के द्वारा अध्यात्मिक साधना और प्रार्थना की जाती है।
क्योंकि हर महीने एकादशी होती है इसलिए आपको एकादशी कब है उसका समय और तारीख की जानकारी होनी चाहिए जिसके बारे में हमने नीचे संपूर्ण लिस्ट प्रदान की है।
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है इस वर्ष मोहिनी एकादशी 1 मई 2023 को पड़ रही है जो सोमवार को प्रारंभ होकर मंगलवार को समाप्त होगी।
पक्ष
कृष्ण
मास
ज्येष्ठ
तिथि
15 मई 2023
वार
सोमवार
एकादशी
अपरा एकादशी
प्रारम्भ
02:46 ए एम, मई 15
समाप्त
01:03 ए एम, मई 16
ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को अपरा एकादशी के रूप में जाना जाता है इस वर्ष अपरा एकादशी 15 मई 2023 को पड़ रही है जो सोमवार को प्रारंभ होकर मंगलवार को समाप्त होगी।
पक्ष
शुक्ल
मास
ज्येष्ठ
तिथि
31 मई 2023
वार
बुधवार
एकादशी
निर्जला एकादशी
प्रारम्भ
01:07 पी एम, मई 30
समाप्त
01:45 पी एम, मई 31
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है इस वर्ष निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को पड़ रही है जो बुधवार को प्रारंभ होकर गुरुवार को समाप्त होगी।
एकादशी- गौण पापांकुशा एकादशी और वैष्णव पापांकुशा एकादशी
प्रारम्भ- 09:08 ए एम, अक्टूबर 13
समाप्त- 06:41 ए एम, अक्टूबर 14
तिथि- 28 अक्टूबर 2024
पक्ष- कृष्ण
मास- कार्तिक
वार- सोमवार
एकादशी- रमा एकादशी
प्रारम्भ- 05:23 ए एम, अक्टूबर 27
समाप्त- 07:50 ए एम, अक्टूबर 28
नवम्बर में एकादशी कब है 2024
तिथि- 13 नवम्बर 2024
पक्ष- शुक्ल
मास- कार्तिक
वार- मंगलवार
एकादशी- देवुत्थान एकादशी
प्रारम्भ- 06:46 पी एम, नवम्बर 11
समाप्त- 04:04 पी एम, नवम्बर 12
तिथि- 26 नवम्बर 2024
पक्ष- कृष्ण
मास- मार्गशीर्ष
वार- मंगलवार
एकादशी- उत्पन्ना एकादशी
प्रारम्भ- 01:01 ए एम, नवम्बर 26
समाप्त- 03:47 ए एम, नवम्बर 27
दिसम्बर में एकादशी कब है 2024
तिथि- 11 दिसम्बर 2024
पक्ष- शुक्ल
मास- मार्गशीर्ष
वार- बुधवार
एकादशी- मोक्षदा एकादशी और गुरुवायुर एकादशी
प्रारम्भ- 03:42 ए एम, दिसम्बर 11
समाप्त- 01:09 ए एम, दिसम्बर 12
तिथि- 26 दिसम्बर 2024
पक्ष- कृष्ण
मास- पौष
वार- बृहस्पतिवार
एकादशी- सफला एकादशी
प्रारम्भ- 10:29 पी एम, दिसम्बर 25
समाप्त- 12:43 ए एम, दिसम्बर 27
कितनी एकादशी होती है
एकादशी हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण धार्मिक तिथि है हिन्दू पंचांग में आमतौर पर साल में 24 एकादशी होती हैं जो हर मास में दो बार आती हैं एकादशी व्रत के दौरान लोग भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
एकादशी के नाम और तिथि विभिन्न पंचांगों और क्षेत्रों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं हालांकि यहां कुछ प्रमुख एकादशी के नाम दिए जा रहे हैं जो सामान्य रूप से प्रतिवर्ष मनाई जाती हैं:
मास
शुक्ल पक्ष
कृष्ण पक्ष
चैत्र
कामदा
वरूथिनी
वैशाख
मोहिनी
अपरा
ज्येष्ठ
निर्जला
योगिनी
आषाढ़
देवशयनी
कामिका
श्रावण
पुत्रदा
अजा
भाद्रपद
परिवर्तिनी
इंदिरा
आश्विन
पापांकुशा
रमा
कार्तिक
प्रबोधिनी
उत्पन्ना
मार्गशीर्ष
मोक्षदा
सफला
पौष
पुत्रदा
षटतिला
माघ
जया
विजया
फाल्गुन
आमलकी
पापमोचिनी
यह एक सामान्य सूची है और विभिन्न पंचांगों में एकादशी के और नाम भी हो सकते हैं इन तिथियों के अलावा कुछ विशेष अवसरों पर अतिरिक्त एकादशी भी मनाई जा सकती है।
एकादशी की कहानी
एकादशी की कई प्रसिद्ध कथाएं हैं जो हिन्दू धर्म में प्रमुखता से प्रचलित हैं यहां कुछ महत्वपूर्ण एकादशी कथाएं हैं- जो लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं और इनके माध्यम से भगवान की पूजा और व्रत का महत्व जाना जाता है।
रामायण कथा
एकादशी के दिन रामायण कथा के अनुसार भगवान श्रीराम ने चित्रकूट पर्वत पर बसे हुए ऋषि मुनियों की कठिनाइयों का समाधान किया था इस प्रमुख कथा के आधार पर रामा एकादशी के रूप में भी जानी जाती है।
पांडवों की कथा
महाभारत के युद्ध काल में अपनी वनवास के दौरान पांडवों ने एकादशी के दिन भगवान के व्रत का पालन किया था इससे प्रेरित होकर आज भी लोग पांडवों की कथा के आधार पर एकादशी का व्रत रखते हैं।
अम्बरीष महाराज की कथा
एकादशी की कथाओं में से एक महत्वपूर्ण कथा है अम्बरीष महाराज की कथा वह एक सत्यनिष्ठ राजा थे जिन्होंने एकादशी के व्रत का पालन किया था। एक बार उन्हें दैत्य दुर्वासा ऋषि ने परीक्षा के तौर पर उनके व्रत को तोड़ने की कोशिश की थी लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें बचाया था। यह कथा अम्बरीष महाराज की निष्ठा और भगवान के प्रति आस्था को दर्शाती है।
अत: एकादशी एक प्रमुख हिन्दू व्रत है जो भगवान विष्णु की पूजा और अर्चना को समर्पित है इस व्रत का महत्व धर्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से होता है। एकादशी के दिन भगवान की अनुग्रह की प्राप्ति, पापों का नाश और मन की शुद्धि होती है इसके साथ ही इस व्रत के द्वारा, हम अपने जीवन में धार्मिकता, सदभाव, समरसता और आध्यात्मिकता की गहरी मूल्यांकन कर सकते हैं और सच्ची आनंदमय जीवन की प्राप्ति के लिए आवश्यक गुणों को विकसित कर सकते हैं।
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