गरुड़ पुराण यह शब्द सुनते ही मन में एक अजीब सी झुनझुनाहट महसूस होने लगती है तथा मन में कई तरह के विचार आने लगते है जैसे मरने के बाद आत्मा का क्या होगा, हमे स्वर्ग की प्राप्ति होगी या अनगिनत यातनाएं सहने के बाद अनंतकाल तक नरक की ज्वाला में जलना पड़ेगा औऱ उस पीड़ा से छुटकारा कब मिलेगा?
क्या इस धरती में दोबारा जीवन जीने का मौका मिलेगा, क्या दूसरा जीवन मानव रूपी होगा या किसी कीड़े या जानवर के रूप में? मौत के बाद आत्मा और पीछे छूट गए परिजनों के साथ क्या घटनाए होती हैं?
श्राद्ध और तेरहवीं जैसे कार्यक्रम का क्या महत्व है और हर इंसान को गरुड़ पुराण क्यों पढ़नी चाहिए ऐसी सभी बातों का जवाब और आपके मन में आने वाले तरह-तरह के सवालों का जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलने वाला है।
आपके सभी सवालों का जवाब 18 पुराणों में से एक महापुराण गुरुर पुराण से मिलेगा इसलिए आपको गुरुर पुराण के बारे में विस्तार पूर्वक जानने के लिए इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ना चाहिए ताकि आप गुरुर पुराण के बारे में गहराई से समझ सके और जान सके।
Highlights
गुरुर पुराण क्या हैं- Garun Puran Hindi
मौत दुनिया का सबसे कड़वा सच है औऱ हम चाहे जितने भी पूण्य या पाप करें, अमीर हो या गरीब हो मरना तो एक दिन सभी को है मगर मरने के बाद आत्मा का क्या होता है इसको लेकर लोगों में अलग-अलग विचारधारा है।
सनातन धर्म को मानने वाले गरुड़ पुराण पर लिखी बातों में अपना विश्वास प्रकट करते हैं जिसमे मरने वाले व्यक्ति की मौत के पहले से लेकर मोक्ष की प्राप्ति तक का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।
हमारे सनातन धर्म मे कुल 18 पुराण और 18 उप पुराण हैं जिन्हें महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने लिखा हैं इन्ही पुराणों में से एक है गरुड़ पुराण।
कई लोगों का मानना है कि गरुड़ पुराण में सिर्फ मृत्यु और उसके बाद होने वाले कार्यक्रमों का ही वर्णन है बल्कि गरुड़ पुराण में 19 हज़ार श्लोक हैं जिनमें भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन है जैसे इस पुराण में विष्णु भक्ति कैसे की जाती है इसके बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है इसलिए गरुड़ पुराण को वैष्णव पुराण भी कहा जाता है।
कई बड़े-बड़े वैज्ञानिकों व बुद्धिजीवियों का यह मानना है कि सनातन धर्म खुद में एक विज्ञान है तथा पुराणों में लिखी गई बातें जैसे इस ब्रम्हांड की संरचना, पृथ्वी में जीवन की उत्पत्ति, खगोल में हो चुकी और होने वाली घटनाओं का वर्णन है।
वैसा ही ठीक गरुड़ पुराण में भी बताया गया है की कैसे धरती में पहले मानव ‘मनु’ की उत्पत्ति हुई औऱ पहले सौर्य मण्डल में 12 आदित्य यानी के सूर्य थे उसका वर्णन भी गरुड़ पुराण में किया गया है इतना ही नहीं सूर्य, चंद्रमा, एवं अन्य ग्रहों के मंत्र सहित अलौकिक संसार की 9 शक्तियों के बारे में बताया गया है।
गरुड़ पुराण को बाकी 17 पुराणों से अलग माना जाता है क्योंकि इसकी रचना अग्निपुराण के बाद हुई और इसमें बाकी पुराणों से हटकर बातें लिखी गईं हैं तथा वेदव्यास गरुड़ पुराण को लेकर कहते हैं कि यह पुराण भगवान गरुड़ व भगवान विष्णु के बीच जीवन-मरण को लेकर हुई वार्तालाप है जिसे गरुड़ देव ने भगवान से अर्जित ज्ञान को ऋषि कश्यप को सुनाया था।
भगवान विष्णु ने उनकी सवारी यानी गरुड़ को मृत्यु के बाद होने वाली घटनाएं, विभिन्न नरक, प्रेत कल्प, पुनर्जन्म, श्रद्ध और पितृ कर्म किस तरह करना चाहिए इन सब के बारे में बताया था औऱ आपको बता दें कि गरुड़ पुराण में कुल 16 अध्याय है जिनमे बारीकी से जीवन मरण चक्र का उल्लेख किया गया है।
Book Name | Samkshipt Garud Puran |
Author | Gita Press |
Language | Hindi |
Pages | 624 |
Star Rating | 4.7 out of 5 |
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गरुड़ पुराण- मौत के बाद आत्मा का क्या होता है
गरुड़ पुराण के अनुसार मरने वाले व्यक्ति के पास पहले से ही यमदूत आकर खड़े हो जाते हैं तथा उनके वीभत्स रूप को देख कर जीवित प्राणी रोने लगता है, वह डर लगने लगता है, वह कुछ कहना चाहता है मगर उसके मुह से अजीब-अजीब आवाजें निकलती हैं और वह किसी को अपनी भाषा समझा नहीं पता हैं।
जीवित प्राणी को इतना भय लगता है कि वह शरीर से मल-मूत्र का त्याग कर देता है और उसी के साथ आत्मा शरीर से बाहर निकल जाती है परन्तु वह आत्मा यमदूतों के आगे जीवन की भीख मांगती है और बार-बार उस मृत शरीर मे प्रवेश पाने की कोशिश करती है मगर यमदूत उसे रस्सी से बांध कर रखते हैं।
ऐसा कहा गया है कि आत्मा तब तक यमदूतों के कब्जे में रहती है जब तक की मृत शरीर का अंतिम संस्कार नहीं कर दिया जाता है तथा शरीर का पंचतत्व में विलीन होने के पश्चात आत्मा को छोड़ दिया जाता है और वह जीवन जीने के लिए तड़पती आत्मा अपनी जलती चिता को देख कर विलाप करती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार मौत के बाद आत्मा 13 दिन तक अपने घर वालों के साथ रहती है व उन्हें रोता हुआ देख रोती है व जो व्यक्ति मृत शरीर को चिता देता है उसे आत्मा परेशान करने का भी प्रयास करती है।
और यह पूछती है कि उसने उसके शरीर को क्यों जला दिया इसीलिए चिता देने वाले व्यक्ति को 13 दिन तक कभी अकेले नहीं छोड़ा जाता और उसे हमेशा अपने पास लोहे की धातु से बना सरौता रखना पड़ता है।
मौत के 13 दिन बाद क्या होता है
पहले दिन से लेकर लगातार 13 दिनों तक चिता देने वाले व्यक्ति को पीपल के पेड़ के पास जाकर आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करनी पड़ती है और उसे भोग चढ़ाना पड़ता है ताकि आत्मा प्यास और भूख से तड़पती न रहे।
श्राद्ध होने के बाद आत्मा का अपनों से विदा लेने का वक्त आता है और आत्मा को यह आभास हो जाता है कि इस माया में अब उसका कोई स्थान नहीं है और अब उसे अपने जीवन काल में किए पाप और पुण्य का हिसाब देना है।
तब आत्मा 13 दिन बाद पृथ्वीलोक छोड़ कर बैकुंठ के रास्ते मे चल पड़ती है औऱ गरुड़ पुराण में यह बताया गया है की अगर म्रतक के घर वाले सही तरीक़े से पिंडदान और श्राद्ध की प्रक्रिया नहीं अपनाते तो आत्मा हमेशा के लिए प्रेत बन कर तड़पती रहती है साथ ही गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि सही तरीके से किया गया पिंड दान पापी आत्मा को नरक और वहां तक पहुचने से पहले मिलने वाली यातनाओं से राहत देता है।
यमलोक पहुँचने के बाद क्या होता है
मृत्युलोक तक पहुचने के लिए आत्मा को 47 दिन की यात्रा करनी पड़ती है तथा यह रास्ता बहुत ही दुःख देने वाला होता है जहां उसे खून और पीप (मवाद) की नदी (बैतरणी नदी )को तैरते हुए पार करना पड़ता है।
उस नदी को पार करने में उन्ही लोगों को आसानी होती है जिनके मरते वक्त घर वालों ने उनके हाथ मे गौ की पूछ पकड़ाई हो और महाब्राह्मण को गौ दान दिया हो इसके अलावा इन 47 दिनों में आत्मा को किन-किन रास्तों से गुजरना पड़ता है यह जानने के आपको गरुड़ पुराण पढ़ना होगा।
यमलोक पहुँचने के बाद यमदूत उस आत्मा को यमराज के सामने ले जाते हैं जहां उसे अपने जीवित अवस्था में किए पाप और पुण्य बताए जाते हैं औऱ फिर उसके हिसाब से अलग-अलग सज़ा सुनाई जाती है।
अच्छे कर्म करने वालों को स्वर्ग मिलता है जहां देवताओं का वास होता है और आत्मा को दुःख के संसार से मुक्ति मिलती है बाकी बुरे कर्म करने वालों को नरक मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार कुल 36 प्रकार के नरक हैं जिसमे अलग-अलग पाप करने वालों को उसी के अनुसार सज़ा सुनाई जाती है।
अपने साउथ की फ़िल्म अपरिचित तो देखी होगी उसमे भी फ़िल्म का केरेक्टर लोगों को गरुड़ पुराण के अनुसार सज़ा देता है हालांकि गरुड़ पुराण में पाप करने वालों को उससे भी भयावह दंड दिए जाते हैं जिसके बारे में जाने के लिए आपको गरुड़ पुराण बुक को पढ़ना चाहिए।
गरुड़ पुराण के अनुसार दंड
1. महावीचि – जो लोग गौ हत्या करते है उन्हें रक्त से भरे एक स्थान में फेंक दिया जाता है जहा बड़े-बड़े कांटे उसे चुभते है जोकि आत्मा को नोच डालते हैं।
2. कुम्भीपाक- जो लोग किसी की जमीन हड़प लेते हैं या फिर किसी ब्राम्हण की हत्या करते हैं उन्हें आग से धधकती रेत में फेंक दिया जाता है जहां बड़े-बड़े जलते अंगारे आत्मा को जला डालते हैं।
3. विलेपक- यहाँ लाख की आग से उन ब्राम्हणों को जलाया जाता है जो शराब पीते हैं तथा गरुड़ पुराण में वर्णित हर एक नरक को जानने के लिए आपको यह पुराण पढ़ना होगा।
दूसरा जन्म कैसे मिलता है- गरुड़ पुराण
अपनी सज़ा काटने के बाद आत्मा को पृथ्वी लोक में जाने का मौका दिया जाता है लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर बार आत्मा को इंसान के रूप में ही जीवन मिले इसलिए बीते जन्म में किए पाप और पूण्य के अनुसार ही अगला जन्म मिलता है।
आपको यह जान कर ताज्जुब होगा कि गरुड़ पुराण में कुल 84 लाख योनियों का वर्णन है जिसमे करोड़ो जीव जंतु का जन्म चक्र काटने के बाद अंतिम में मनुष्य जीवन की प्राप्ति होती है और जो मनुष्य जीवन में जैसे कर्म करता है उसे फिर से उसी के अनुसार दूसरा जीवन दिया जाता जाता है।
वह कुत्ता, बिल्ली, शेर, कीड़े, मकोड़े, मछली, कुछ भी हो सकता है और अगर आप इस जीवन चक्र के बारे में विस्तृत जानकारी जानने की जिज्ञासा हो तो एक बार गरुड़ पुराण जरूर पढें।
कब और क्यों पढ़नी और सुननी चाहिए गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु गरुड़ से कहते हैं कि जो भी मनुष्य जीवन-मरण के चक्र में जिज्ञासा रखता है वह गरुड़ पुराण अध्ययन कर सकता है।
आम तौर पर आम इंसान गरुड़ पुराण तभी सुनता है जब उसके घर में किसी की मृत्यु हो जाती है और पंडित घर आकर 13 दिन तक गरुड़ पुराण में लिखीं बातों को उन्हें बताते हैं ताकि वह जान सके कि मरने वाले व्यक्ति को क्या-क्या सहन करना पड़ता है और क्या-क्या करने से उसे राहत मिलती है।
वर्तमान में गरुड़ पुराण को लेकर एक भय यह भी है कि इसे तभी पढ़ा जाना चाहिए जब किसी की मृत्यु हो जबकि ऐसा नहीं है कोई भी जिज्ञासु व्यक्ति गरुड़ पुराण पढ़ सकता है औऱ जन्म-मृत्यु के बारे में अधिक विस्तार से जान सकता है।
आप भी बेफिक्र हो कर गरुड़ पुराण का अध्ययन कर सकते है और इस डिजिटल युग में इंटरनेट पर गरुड़ पुराण की डिजिटल कॉपी आसानी से उपलब्ध हो जाती है इसके अलावा आप इसे गूगल प्ले स्टोर से डाऊनलोड भी कर सकते हैं साथ ही यह पुराण इंटरनेट शॉपिंग वेबसाइट अमेज़न से आर्डर भी कर सकते हैं।
हम उम्मीद करते है की आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा और इसे आपको जरूर मद्त मिली होगी तो अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आता है तो उसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और आप कोई सवाल है तो हमे कमेंट करें
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