Durga Ji Ki Aarti Ki Lyrics:- हिंदू धर्म में विभिन्न त्योहारों और उत्सव के साथ-साथ दैनिक जीवन में भी सुबह तथा शाम भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है और इस पूजा अर्चना में आरती महत्वपूर्ण भाग होता है इसलिए अगर आप “Durga Ji Ki Aarti” लिखी हुई आरती ढूंढ रहे हैं तो यहां पर आपको पूरी लिखी हुई आरती मिलने वाली है।
दरसल, आज हर कोई पूजा अर्चना करते समय आरती को अपने मोबाइल फोन पर लगाकर सुनते हैं औऱ पूजा-अर्चना करते हैं जबकि अधिकतर लोग पूजा अर्चना करने की चलती आ रही परंपरा का पालन करते हैं और पूजा अर्चना करते हुए खुद ही आरती करते हैं।
परंतु हर किसी को संपूर्ण आरती याद हो ऐसा नहीं होता है इसलिए बहुत सारे लोग Durga Ji Ki Aarti Ki Lyrics को पढ़कर अच्छी तरह भगवान की आरती करते हैं जिससे उन पर भगवान की विशेष कृपा बनी रहे और यही पूजा अर्चना करने का उत्तम तरीका माना जाता है।
और कई बार आरती करते समय हम आरती भूल जाते हैं इसलिए भी हम पहले से लिखी हुई आरती अपने सामने रखते हैं ताकि हम से किसी प्रकार की कोई चूक न हो और हम विधि-विधान से भगवान की पूजा कर सके जिसके बाद ही हमें पूजा का फल मिलता है तो चलिए हम आपको Durga Ji Ki Aarti Ki Lyrics हिंदी और इंग्लिश दोनों में प्रदान कर रहे हैं आपको जो ज्यादा आसान और सरल लगे आप उसका इस्तेमाल करके अपनी प्राथना कर सकते हैं।
Highlights
Durga Ji Ki Aarti Ki Lyrics- हिंदी
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी.
ॐ जय अम्बे गौरी
मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को
उज्जवल से दो नैना चन्द्र बदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे
रक्त पुष्प दल माला कंठन पर साजे
ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत खड़्ग खप्पर धारी
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित नासग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
शुम्भ निशुम्भ विडारे महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड – मुंड संहारे सोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोऊ मारे सुर भयहीन करे
ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी
चौसठ योगिनी मंगल गावत नृत्य करत भैरु
बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरु
ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुःख हरता सुख सम्पत्ति कर्ता
ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मन वांछित फ़ल पावत सेवत नर-नारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कंचन थार विराजत अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत कोटि रत्न ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी
Durga Ji Ki Aarti Ki Lyrics- इंग्लिश में
Jai ambe gauri, maiya jai shyama gauri
Tumko nish-din dhyavat, hari brahma shivji
Om Jai Ambe Gauri
Maang sindoor virajat, tiko mrig-mad ko
Ujjwal se dou naina, chandra vadan niko
Om Jai Ambe Gauri
Kanak samaan kalewar, raktaambar raaje
Rakt pushp gal-mala, kanthan par saaje
Om Jai Ambe Gauri
Kehri vahan rajat, kharag khapar dhaari
Sur nar muni jan sevat, tinke dukh haari
Om Jai Ambe Gauri
Kanan kundal shobhit, naas-agre moti
Kotik chandra divakar, sum rajat jyoti
Om Jai Ambe Gauri
Shumbh ni-shumbh vidare, mahisha sur ghati
Dhumra-vilochan naina, nish-din- mad mati
Om Jai Ambe Gauri
Chandh mundh sangh-haare, shonit beej hare
Madhu kaitabh dou maare, sur bhe heen kare
Om Jai Ambe Gauri
Brahmani rudrani, tum kamla rani
Aagam nigam bakhani, tum shiv patrani
Om Jai Ambe Gauri
Chon-sath yogini gavat, nritya karat bhairon
Baajat taal mridanga, aur baajat damaroomaroo
Om Jai Ambe Gauri
Tum ho jag ki maata, tum hi ho bharta
Bhakto ki dukh harata, sukh sampati karata
Om Jai Ambe Gauri
Bhuja chaar ati shobit, var mudra dhaari
Man vaanchit phal pavat, sevat nar naari
Om Jai Ambe Gauri
Kanchan thaal virajat, agar kapoor baati
Shri maal-ketu me rajat, kotik ratan jyoti
Om Jai Ambe Gauri
Shri ambe-ji-ki aaarti, jo koi nar gaave
Kahat shivanand swami, sukh sampati pave
Om Jai Ambe Gauri
आरती खड़े होकर क्यों की जाती हैं?
– आरती हिंदू धर्म की अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन समय से चलती आ रही परंपरा है और इसके बिना पूजा अर्चना को अधूरा माना जाता है इसलिए हमेशा पूजा या प्रार्थना की समाप्ति के बाद ही आरती करना श्रेष्ठ माना जाता है सामान्य परिस्थितियों में आरती को खड़े होकर करना या थोड़ा झुककर करना उत्तम माना जाता है
लेकिन अगर आपके सेहत व स्वास्थ्य में किसी प्रकार की समस्या है जिसके कारण आप खड़े होकर आरती नहीं कर सकते तो आप बैठकर भी आरती कर सकते हैं हालांकि सबसे महत्वपूर्ण आपकी शरदा है यह नहीं है कि आप खड़े होकर या बैठकर भगवान की पूजा अर्चना करते हैं आप चाहे खड़े हो या बैठे हो सबसे जरूरी है कि भगवान के प्रति आपकी शारदा!
आरती करने का सही समय क्या होता है
– पूजा अर्चना का एक महत्वपूर्ण भाग होता है देवी देवताओं की की जाने वाली आरती और हर धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद उस अनुष्ठान से संबंधित भगवान की प्रार्थना की जाती है हालांकि हिंदू धर्म में पाठ पूजा को लेकर कई सारे नियम बताए गए हैं
अगर आप इन नियमों का पालन करते हैं तो आपको पूजा का फल अवश्य मिलता है इसलिए आपको आरती करने का सही समय का चयन भी करना चाहिए सनातन धर्म में ब्रह्म मुहूर्त और गोधूलि बेला पूजन के लिए उपयुक्त बताए गए हैं इसलिए सुबह और शाम प्रतिदिन आरती करनी चाहिए।
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भगवान की पूजा में आरती क्यों महत्वपूर्ण है
-आरती पूजा की वह विधि है, जिसे करने पर पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और आराध्य देवी–देवता की कृपा बरसती है आरती को ‘आरार्तिक‘ और ‘नीराजन‘ भी कहा जाता है पुराणों में आरती की महिमा का गुणगान करते हुए कहा गया है कि यदि कोई मंत्र आदि नहीं जानता हो तो वह श्रद्धापूर्वक उस पूजा–अनुष्ठान का पूरा फल प्राप्त कर सकता है।
ईश्वर की साधना के लिए की जाने वाली आरती आम तौर पर घरों में सुबह–शाम की जाती है लेकिन इसे दिन भर में एक से पांच बार की जा सकती है तथा आरती को हमेशा ऊंचे स्वर और एक ही लय ताल में गाया जाता है ऐसा करने पर पूजा स्थल का पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है और मन को सुकून देने वाला होता है।
आरती कितने प्रकार से की जाती है
आरती मुख्य रूप से पांच प्रकार से की जाती है जिसमें पहली दीपमाला से, दूसरी जल से भरे शंख से, तीसरी धुले हुए वस्त्र से, चौथी आम और पीपल आदि के पत्तों से और पांचवीं साष्टांग अर्थात शरीर के पांचों भाग (मस्तिष्क, हृदय, दोनों कंधे, हाथ व घुटने) से इस प्रकार पंच-प्राणों की प्रतीक आरती मानव शरीर के पंच-प्राणों की प्रतीक मानी जाती है।
हमने आपको यहां पर Durga Ji Ki Aarti Ki Lyrics हिंदी और इंग्लिश दोनों ही भाषाओं में प्रदान की है आपको जो भी सरल व आसान लगती है जिसे आप आसानी से समझ कर गुनगुना सकते हैं आप उसका इस्तेमाल कर सकते हैं हालांकि हमने सभी जानकारी यहां पर प्रदान करने का प्रयास किया है परंतु फिर भी कुछ छूट जाता है तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं
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