Jharkhand News: झारखंड के किसानों के लिए विधानसभा में एक अहम चर्चा हुई। जल संसाधन बजट पर बात करते हुए जयराम महतो ने किसानों की मुश्किलों को सामने रखा। उन्होंने बताया कि राज्य में खेती की जमीन तो बहुत है, लेकिन पानी की कमी के कारण किसान परेशान हैं।
डैम हैं, पर उनका पानी उद्योगों को ज्यादा मिलता है, खेतों तक कम पहुंचता है। जयराम ने सरकार से मांग की कि किसानों के लिए नई योजनाएं शुरू हों और पुरानी समस्याओं का हल निकले। यह चर्चा इसलिए खास थी क्योंकि किसानों की बेहतरी के बिना झारखंड का विकास मुश्किल है।
खेती की जमीन है, पर पानी नहीं
झारखंड में करीब 30 लाख हेक्टेयर जमीन खेती के लिए है। लेकिन इसमें से सिर्फ 18.5 लाख हेक्टेयर पर ही खेती हो पाती है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि सिर्फ 2 लाख हेक्टेयर जमीन को ही सिंचाई का पानी मिलता है, जो देश के औसत से बहुत कम है। जयराम महतो ने कहा कि अगर पानी की व्यवस्था सही हो, तो किसान दो फसलें उगा सकते हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और राज्य में बेरोजगारी भी कम होगी।
डैम का पानी उद्योगों को, किसानों को खाली हाथ
झारखंड में चांडिल, कोणार, मैथन जैसे बड़े डैम हैं। लेकिन इनका ज्यादातर पानी उद्योगों को जाता है। जयराम ने सवाल उठाया कि जब किसानों को पानी नहीं मिलेगा, तो वे दूसरी फसल कैसे उगाएंगे? उन्होंने सरकार से मांग की कि डैम का पानी खेतों तक पहुंचे। साथ ही, एक नई डैम योजना का जिक्र किया, जो गिरिडीह और धनबाद जैसे इलाकों में पानी की समस्या हल कर सकती है।
विस्थापन की समस्या और पुरानी योजनाओं का हाल
डैम बनाने में जमीन अधिग्रहण होता है, जिससे लोग विस्थापित हो जाते हैं। जयराम ने बताया कि चांडिल और मैथन जैसे डैमों के विस्थापित आज भी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने सरकार से कहा कि इन लोगों की परेशानियों का समाधान जरूरी है। साथ ही, पुरानी योजनाओं जैसे स्वर्ण रेखा परियोजना का उदाहरण दिया, जो 129 करोड़ से शुरू हुई थी और अब 15,000 करोड़ तक पहुंच गई है। समय पर काम पूरा न होने से लागत बढ़ती जा रही है।
झारखंड के किसानों की उम्मीदें अब सरकार पर टिकी हैं। जयराम महतो की बातों से साफ है कि नई योजनाएं और पुरानी समस्याओं का हल ही राज्य को आगे ले जा सकता है। क्या सरकार इन सुझावों पर ध्यान देगी? यह देखना बाकी है।
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