Premanand Ji Maharaj: नए साल की शुरुआत पर resolutions यानी कसम लेना आजकल आम बात है। लोग बेहतर आदतें अपनाने और पुरानी बुरी आदतों को छोड़ने का प्रण करते हैं, लेकिन कुछ ही समय बाद यह कसम टूट जाती है। प्रेमानंद महाराज ने इस समस्या का हल बताते हुए जीवन को सकारात्मक दिशा देने का गहरा मंत्र साझा किया।
कसम टूटने की असली वजह क्या है?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, कसम टूटने की सबसे बड़ी वजह है मन की कमजोरी और आत्मिक बल का अभाव। उन्होंने कहा,
“जब तक हमारे अंदर आत्मबल नहीं होगा, तब तक किसी भी कसम पर टिके रहना मुश्किल है।” यह बल किसी बाहरी स्रोत से नहीं, बल्कि भजन, नामजप और आध्यात्मिक साधना से प्राप्त होता है।
महाराज जी ने समझाया कि जब हम केवल नियम बना लेते हैं, लेकिन उसके पीछे आवश्यक शक्ति का विकास नहीं करते, तो हमारा मन भटक जाता है। शुरुआत में हम अपने प्रण पर अडिग रहते हैं, लेकिन कुछ समय बाद हमारे संकल्प कमजोर पड़ने लगते हैं।
आध्यात्मिक बल का महत्व
महाराज जी ने बताया कि आध्यात्मिक बल ही वह शक्ति है, जो किसी भी कसम को निभाने में मदद कर सकती है। उन्होंने श्री हरिवंश के नामजप का उदाहरण देते हुए कहा, “जितना अधिक नामजप करेंगे, उतनी ही हमारे भीतर की शक्ति बढ़ेगी। यह शक्ति हमारे संकल्प को अडिग बनाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि जब हम आचार्य और गुरु की शरण में जाकर साधना करते हैं, तो यह साधना हमारे मन को दृढ़ बनाती है। भजन और ध्यान के बिना, जीवन में स्थायित्व और सकारात्मक बदलाव लाना कठिन है।
कैसे बनाए रखें अपने प्रण
- भजन और नामजप करें:
भजन और गुरु मंत्र का जाप करने से मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। - आचार्य की शरण में रहें:
गुरु और संतों के मार्गदर्शन में रहकर उनके अनुभवों से प्रेरणा लें। - छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं:
बड़े बदलाव की बजाय छोटे और व्यावहारिक कदम उठाएं। - सकारात्मक सोच विकसित करें:
अपने विचारों को सकारात्मक रखें और हर दिन अपने संकल्प को दोहराएं।
प्रेमानंद महाराज का संदेश
महाराज जी ने अपने सत्संग में उदाहरण देकर बताया कि संतों और गुरु का दर्शन भी यज्ञ के समान फल देता है। उन्होंने कहा,
“अगर हम संतों का दर्शन करते हुए अभिमान छोड़कर आगे बढ़ते हैं, तो हर कदम पर करोड़ों यज्ञ का पुण्य मिलता है।”
उन्होंने नए साल पर केवल कसम लेने की बजाय जीवन में भजन और साधना को शामिल करने का संदेश दिया। उनका मानना है कि भगवान की कृपा और आत्मिक बल के बिना कोई भी संकल्प लंबे समय तक टिक नहीं सकता।
नए साल की कसम तभी पूरी हो सकती है, जब हम इसे आध्यात्मिक आधार दें। प्रेमानंद महाराज का यह संदेश हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा है कि बदलाव बाहरी नहीं, बल्कि अंदरूनी शक्ति से आता है। इसलिए, इस नए साल पर केवल कसम न लें, बल्कि भजन और साधना के माध्यम से अपने जीवन में स्थायित्व लाएं।
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