Premanand Ji Maharaj: क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग हर दिन एक जैसी अनुशासित दिनचर्या कैसे जी लेते हैं? ऐसा लगता है जैसे उनके पास असीम ऊर्जा और दृढ़ता का स्रोत हो। प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल का सरल और गहन उत्तर दिया। उन्होंने बताया कि अनुशासन केवल एक आदत नहीं है, बल्कि यह जीवन को उद्देश्यपूर्ण और समृद्ध बनाने का एक तरीका है।
उनके अनुसार, अनुशासन के तीन मुख्य स्तंभ हैं: सत्संग, स्वाध्याय, और स्पष्ट लक्ष्य। इन तीनों को अपने जीवन में अपनाने से न केवल आप अनुशासन में महारत हासिल कर सकते हैं, बल्कि जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
अनुशासन की पहली सीढ़ी
प्रेमानंद जी महाराज ने सत्संग और स्वाध्याय को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने पर जोर दिया।
सत्संग का महत्व
महाराज जी ने कहा कि सत्संग सुनने से मन शांत होता है और हमें यह समझने में मदद मिलती है कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत। अगर आपके पास समय कम है, तो चलते-फिरते, काम करते हुए भी सत्संग सुन सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नियमित सत्संग सुनना अनिवार्य है, क्योंकि यह हमारे भीतर सकारात्मक विचार और शांति का संचार करता है।
स्वाध्याय का अभ्यास
प्रेमानंद जी ने गीता जैसे शास्त्रों का अध्ययन करने की सलाह दी। उन्होंने विशेष रूप से “साधक संजीवनी” नामक ग्रंथ पढ़ने की बात कही, जो सरल भाषा में आत्मिक विकास के गूढ़ रहस्यों को समझाता है।
मन को अनुशासित करने का उपाय
महाराज जी ने बताया कि अनुशासन का मतलब मन की हर इच्छा को पूरा करना नहीं है। उन्होंने कहा:
- मन की सभी मांगें पूरी करना जरूरी नहीं है।
- कुछ इच्छाओं को नियंत्रित करना सीखें, क्योंकि अगर हर बार आप मन की बात मानेंगे, तो यह आपका साथ नहीं देगा।
इस अभ्यास से न केवल आपका मन नियंत्रित होता है, बल्कि यह आपकी ऊर्जा को सही दिशा में केंद्रित करने में मदद करता है।
अनुशासन का आधार
प्रेमानंद जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना बेहद जरूरी है। उनके अनुसार, जब आप अपने उद्देश्य को पूरी तरह स्वीकार कर लेते हैं, तो अनुशासन अपने आप आपके जीवन का हिस्सा बन जाता है।
उन्होंने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए कहा, “जब मैंने भगवत प्राप्ति को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया, तो यह मेरे जीवन का केंद्र बन गया। चाहे कितनी भी थकान हो, मेरा मनोबल कभी कम नहीं हुआ।”
उनके अनुसार, अगर आप सुबह 2 बजे उठने का लक्ष्य बनाते हैं और इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं, तो यह असंभव नहीं है। उन्होंने कहा, “लक्ष्य ऐसा हो जो आपको प्रेरित करे और आपको हर रोज आगे बढ़ने का कारण दे।”
महाराज जी की दिनचर्या
प्रेमानंद जी महाराज की दिनचर्या अनुशासन का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने बताया कि वह रात 11 बजे सोते हैं और सुबह 2 बजे उठते हैं। उनकी सुबह की शुरुआत ध्यान, नाम-जप और सत्संग से होती है।
यह दिनचर्या न केवल उनकी साधना का हिस्सा है, बल्कि उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। उन्होंने कहा, “जब आप अपने उद्देश्य को लेकर स्पष्ट होते हैं, तो समय प्रबंधन अपने आप आसान हो जाता है। थकान महसूस नहीं होती, क्योंकि आपका मन और शरीर उद्देश्य की ओर काम कर रहे होते हैं।”
अनुशासन से जीवन में शांति और सफलता
प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी बताया कि अनुशासन केवल आत्मसंयम नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शांति और जीवन की सफलता का मार्ग है।
- अनुशासन से आप जीवन में स्पष्टता और स्थिरता प्राप्त करते हैं।
- यह आपकी ऊर्जा को सही दिशा में लगाने में मदद करता है।
उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा कि अगर आप हर दिन अनुशासन के साथ जीना सीखते हैं, तो यह आपके जीवन को सरल और अर्थपूर्ण बना सकता है। उनकी शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि अनुशासन का सही मतलब है अपने जीवन को एक स्पष्ट दिशा देना और उसे आत्मिक उन्नति के लिए उपयोग करना।
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