Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने एक अनमोल जीवन पाठ साझा किया। उन्होंने सिकंदर महान की कहानी सुनाई, जो अपने विजय अभियानों के लिए जाना जाता है। महाराज जी ने बताया कि जब सिकंदर का जीवन समाप्त हुआ, तो उसने आदेश दिया कि उसकी अंतिम यात्रा में उसके हाथ ताबूत के बाहर रखे जाएं। इसका उद्देश्य लोगों को यह दिखाना था कि इतनी धन-दौलत और साम्राज्य होने के बाद भी वह इस संसार से खाली हाथ ही जा रहा है।
महाराज जी ने कहा, “चाहे आपके पास कितना भी धन और संपत्ति हो, जब मृत्यु का समय आएगा, तो आप यहां से कुछ भी साथ नहीं ले जा पाएंगे।”
सबको जाना है: तैयारी अभी करें
महाराज जी ने यह भी बताया कि मृत्यु अपरिहार्य है और हर व्यक्ति को यह यात्रा करनी है। उन्होंने इसे एक सरकारी आदेश की तरह बताया। जैसे एक सरकारी आदेश पर कोई व्यक्ति बंगला खाली करता है, वैसे ही इस जीवन को भी नियत समय पर छोड़ना होगा।
उन्होंने कहा, “मृत्यु का समय पहले से तय है। जो लोग इसके लिए तैयार नहीं होते, वे पछतावा लेकर जाते हैं। लेकिन जो भगवान का नाम जपते हैं और उनकी शरण में रहते हैं, वे आनंदमय तरीके से इस यात्रा पर निकलते हैं।”
नाम ही जाएगा साथ: धन और संपत्ति नहीं
महाराज जी ने जीवन की इस सच्चाई पर जोर दिया कि “यहां का एक रुपया, एक इंच जमीन या बैंक बैलेंस आपके साथ नहीं जाएगा। केवल हरि नाम, राम नाम, या कृष्ण नाम ही आपके साथ जाएगा।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “भले ही आप लाखों कमाएं, लेकिन अंतिम समय में आपका कोई साथ नहीं देगा। भगवान का नाम ही एकमात्र ऐसी पूंजी है जो आपकी यात्रा को सुगम और आनंदमय बना सकती है।
मृत्यु लोक: काल के कसाईवाड़े का सच
महाराज जी ने मृत्यु लोक को काल का कसाईवाड़ा कहा। उन्होंने बताया कि जैसे एक पशु को कसाईवाड़े में रखा जाता है, जहां उसे हरि-हरी घास खिलाई जाती है और आराम दिया जाता है, वैसे ही यह जीवन भी हमें अस्थायी सुख देता है। लेकिन जब समय आता है, तो काल अपना कार्य करता है।
उन्होंने जोर देकर कहा, “मृत्यु से डरने की बजाय हमें इसे भगवान की योजना का हिस्सा मानना चाहिए और इसे स्वीकार करते हुए आनंदपूर्वक इस यात्रा पर जाना चाहिए।”
कैसे करें मृत्यु को मंगलमय
महाराज जी ने इसका भी समाधान दिया। उन्होंने कहा कि हर दिन भगवान का नाम जपें। अपने जीवन को सेवा और भक्ति में लगाएं। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपका अंतिम समय भी सुखद और शांतिपूर्ण होगा।
उन्होंने कहा, “नाम जपने वाला व्यक्ति कभी अकेला नहीं होता। भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं और उसे अपने साथ ले जाते हैं।”
महाराज जी ने अपने संदेश को समाप्त करते हुए कहा, मृत्यु को लेकर आनंदित वही हो सकता है, जो भगवान से जुड़ा है यदि आप परिवार, धन, और अन्य सांसारिक चीजों में उलझे हैं, तो मृत्यु आपको भयभीत करेगी लेकिन यदि आप भक्ति में लीन हैं, तो यह जीवन की सबसे सुंदर यात्रा होगी। तो आप क्या चुनेंगे? सांसारिक माया में फंसे रहकर पछताना, या भगवान का नाम जपकर अपनी अंतिम यात्रा को मंगलमय बनाना?
प्रेमानंद जी महाराज एक आध्यात्मिक गुरु और प्रवचनकर्ता हैं यह लेख महाराज के सत्संग में दी गई शिक्षाओं और उनके प्रवचनों पर आधारित है इस जानकारी का उद्देश्य पाठकों को प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग में दी गई शिक्षाओं व प्रवचनों के महत्व को समझाना है।
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