बांग्लादेश की सियासत में इन दिनों हलचल मची है अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस की कुर्सी खतरे में दिख रही है। खबरें हैं कि वो इस्तीफा दे सकते हैं सेना और राजनीतिक दलों का दबाव बढ़ता जा रहा है।
यूनुस पर क्यों बढ़ रहा दबाव
मोहम्मद यूनुस को पिछले साल अगस्त में अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया था। तब शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद छात्र आंदोलनों ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी मगर अब वही छात्र नेता नाहिद इस्लाम उनकी राह में रोड़ा बन गए हैं। नाहिद ने अपनी नई पार्टी बनाई और यूनुस से जल्द चुनाव कराने की मांग की। उनका कहना है कि यूनुस सुधारों के नाम पर वक्त बर्बाद कर रहे हैं।
सेना का अल्टीमेटम
बांग्लादेश की सेना भी यूनुस से नाराज है। सेना प्रमुख वकार उज जमान ने साफ कहा कि यूनुस को दिसंबर तक चुनाव कराने होंगे। वकार और यूनुस के बीच तनातनी तब बढ़ी जब यूनुस ने सेना के काम में दखल देना शुरू किया। सेना ने चेतावनी दी कि अगर यूनुस ने ऐसा करना जारी रखा तो हालात और बिगड़ सकते हैं। सेना ने अभी तक सत्ता अपने हाथ में लेने की बात नहीं की मगर दबाव साफ झलक रहा है।
राजनीतिक दलों की नाराजगी
खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने भी यूनुस पर हमला बोला है। बीएनपी ने मांग की कि यूनुस अपने तीन सलाहकारों को हटाएं जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी शामिल हैं। बीएनपी का कहना है कि ये सलाहकार बिना चुने हुए लोग हैं जो देश के बड़े फैसले ले रहे हैं। बीएनपी चाहती है कि यूनुस जल्द चुनाव कराएं ताकि सत्ता चुनी हुई सरकार के हाथ में आए।
यूनुस का कहना है कि वो सुधार और न्याय को प्राथमिकता दे रहे हैं मगर उनके विरोधी इसे समय की बर्बादी मानते हैं अगर यूनुस दिसंबर तक चुनाव नहीं कराते तो सेना सत्ता पर कब्जा कर सकती है। बांग्लादेश की जनता भी अब बदलाव चाहती है। सवाल यह है कि क्या यूनुस इस्तीफा देंगे या सेना के दबाव में चुनाव कराएंगे।
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