तेजस्वी यादव ने अपने बड़े भाई तेज प्रताप यादव की पार्टी से छुट्टी पर चुप्पी तोड़ी है। लालू प्रसाद यादव के इस बड़े कदम के बाद तेजस्वी ने न सिर्फ समर्थन जताया बल्कि परिवार और पार्टी के बीच की सीमाएं भी साफ कीं।
लालू का फैसला बेटे तेज प्रताप 6 साल के लिए RJD से बाहर
बिहार की राजनीति में एक बार फिर यादव परिवार सुर्खियों में है। इस बार वजह है तेज प्रताप यादव की पार्टी से छुट्टी। खुद लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे को 6 साल के लिए राष्ट्रीय जनता दल से बाहर कर दिया है। वजह बताई गई है ‘व्यक्तिगत दुर्व्यवहार’। इस कदम से सिर्फ परिवार में नहीं पार्टी के भीतर भी हलचल मच गई है।
तेजस्वी यादव का जवाब: परिवार अलग, राजनीति अलग
इस पूरे मामले पर तेजस्वी यादव ने चुप्पी तोड़ते हुए साफ किया कि वो अपने पिता के इस फैसले के साथ हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत जीवन और राजनीतिक जिम्मेदारियों को अलग देखा जाना चाहिए। तेजस्वी ने ये भी कहा कि उनके भाई की हरकतें उनकी अपनी निजी पसंद हैं और पार्टी की सामाजिक न्याय की लड़ाई इससे अलग है।
तेजस्वी का ये बयान कई मायनों में खास है। एक तरफ वो पिता के साथ खड़े हैं दूसरी ओर वो तेज प्रताप से दूरी बनाते दिख रहे हैं। इससे साफ है कि अब यादव परिवार में राजनीतिक फैसले भावनाओं से ऊपर रखे जा रहे हैं।
#WATCH | Kolkata | "…We also don't like such things, and what decision Lalu Yadav, that party's chief and my father, has taken, we are with that. Politics and personal life are different. He (Tej Pratap Yadav) is my big brother, and what decisions he makes in his personal life… pic.twitter.com/EUxNXitKnq
— ANI (@ANI) May 25, 2025
पारिवारिक राजनीति पर फिर उठे सवाल
लालू परिवार पर पहले से ही कई भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं। लालू यादव, राबड़ी देवी और उनके बच्चों पर गंभीर आरोप हैं। ऐसे में तेज प्रताप की हरकतें और फिर पार्टी से निकाला जाना ये दिखाता है कि यादव परिवार की राजनीति अब पुराने ढर्रे पर नहीं चल रही।
लोगों का मानना है कि तेज प्रताप की छवि और बेतुके बयानों ने पार्टी की साख को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में लालू ने सख्त कदम उठाकर संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी पहले है परिवार बाद में।
क्या बदलेगी यादव राजनीति की दिशा
तेजस्वी यादव का बयान एक नए युग की शुरुआत की ओर इशारा करता है। अब तक यादव परिवार की राजनीति एकजुट दिखती थी लेकिन अब उसमें दरारें नजर आने लगी हैं। तेजस्वी ने जिस तरह से भाई की आलोचना न करते हुए भी पार्टी की प्राथमिकता को ऊपर रखा वो यह दर्शाता है कि अब वो अपनी खुद की राजनीतिक पहचान गढ़ना चाहते हैं।
इस घटनाक्रम से ये भी साफ होता है कि राष्ट्रीय जनता दल अब तेजस्वी की अगुवाई में एक नई छवि बनाना चाह रही है जहां अनुशासन और जवाबदेही अहम हो।
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