Premanand Ji Maharaj: आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर व्यक्ति शांति और सुकून की तलाश में है हर कोई चाहता है कि उसे जीवन में सुख, शांति, और मानसिक संतुलन मिले इसी उद्देश्य से लोग भगवान की ओर मुड़ते हैं, भगवत प्राप्ति की कामना करते हैं। भगवत प्राप्ति का मतलब केवल किसी विशेष पूजा-पाठ से नहीं होता बल्कि यह एक आंतरिक अवस्था है जहाँ हमारा मन और आत्मा भगवान से जुड़ जाते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज, जो भगवत प्रेम और भक्ति के उच्च मापदंड प्रस्तुत करते हैं ने हाल ही में एक प्रवचन में भगवत प्राप्ति के कुछ सरल और आसान उपाय बताए हैं ये उपाय जीवन में आत्मिक शांति लाने में सहायक हो सकते हैं आइए जानते हैं।
भगवत स्मरण का महत्व
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, भगवत स्मरण, यानी भगवान का नाम जपना या उनका ध्यान करना, भगवत प्राप्ति का सबसे सरल और प्रभावी उपाय है। इसमें न तो धन लगता है, न कोई भारी मेहनत करनी पड़ती है। यह एक ऐसी साधना है जिसे हम कहीं भी, कभी भी कर सकते हैं। जब हम भगवान का स्मरण करते हैं, तो हमारा मन शांति की ओर जाता है और संसारिक बंधनों से मुक्त होने लगता है।
महाराज जी का कहना है कि संसार के सारे बंधन तब ही खत्म होते हैं जब हम भगवान के नाम का जप करते हैं। जैसे-जैसे हम भगवान के नाम का जप करते हैं, हमारा चित्त भगवान से जुड़ता है और संसारिक समस्याएँ कम होती जाती हैं।
सेवा और दान की महिमा
भगवत प्राप्ति का दूसरा महत्वपूर्ण उपाय है सेवा और दान। महाराज जी ने समझाया कि जो भी हमें भगवान से प्राप्त होता है, वह केवल हमारे लिए नहीं होता। हमें अपने पास से दूसरों की सेवा करनी चाहिए, विशेष रूप से उन लोगों की जो जरूरतमंद हैं। अगर आपके पास अतिरिक्त भोजन, वस्त्र, या धन है, तो उसे जरूरतमंदों में बांटने से आपके अंदर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
सेवा और दान से हमारे कर्मों का बंधन भी टूटता है। जब हम केवल अपने लिए कुछ करते हैं, तो वह बंधन बन जाता है, लेकिन जब हम दूसरों के लिए सेवा करते हैं, तो वह हमें भगवत प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है। महाराज जी ने बताया कि एक सच्चे भक्त का धर्म है कि वह न केवल अपनी सेवा करें, बल्कि भगवान के अन्य जीवों की भी सेवा करें।
संसारिक जीवन और भगवत प्राप्ति
बहुत से लोग सोचते हैं कि संसारिक जीवन और भगवत प्राप्ति एक साथ संभव नहीं है, लेकिन प्रेमानंद जी महाराज ने इसे एक मिथक बताया। उनके अनुसार, आप अपने जीवन के सभी कार्य कर सकते हैं, जैसे कि परिवार की देखभाल करना, नौकरी करना, धन कमाना, आदि, और फिर भी भगवत प्राप्ति कर सकते हैं।
महाराज जी ने कहा, “भगवान से विमुख होना बंधन है, और भगवान से जुड़ना मुक्ति है।” इसका मतलब यह है कि संसार में रहकर भी यदि आपका चित्त भगवान से जुड़ा हुआ है, तो आप बंधन से मुक्त हैं। परिवार, नौकरी, धन, यह सब भगवान की देन है और हमें इसे भगवान की सेवा समझकर ही ग्रहण करना चाहिए।
नाम जप से होता है मन शांत
भगवत प्राप्ति का सबसे सशक्त माध्यम है नाम जप। महाराज जी के अनुसार, भगवान का नाम जपने से न केवल हमारा चित्त शुद्ध होता है, बल्कि हमारे सभी संसारिक कार्य भी सफल होते हैं। नाम जप एक साधना है, जो हमें मानसिक शांति और आत्मिक संतोष देती है।
नाम जप का कोई विशेष नियम या विधि नहीं होती। इसे कहीं भी, कभी भी किया जा सकता है। यह एक आंतरिक साधना है जो हमें भगवान से जोड़ती है। महाराज जी कहते हैं, “अगर आप भगवान से जुड़ जाते हैं, तो कोई भी संसारिक चीज आपको उनसे दूर नहीं कर सकती।”
कठिनाइयों में भी भगवत स्मरण करें
महाराज जी ने बताया कि जीवन में सुख-दुख, दोनों स्थितियाँ आती हैं, लेकिन हमें किसी भी स्थिति में भगवान का स्मरण नहीं छोड़ना चाहिए। अक्सर लोग सोचते हैं कि जब जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, तो वे भगवान से दूर हो जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। भगवान का नाम जपना, चाहे स्थिति कैसी भी हो, हमें मानसिक स्थिरता और शक्ति प्रदान करता है।
उन्होंने समझाया कि यदि हम कठिनाइयों में भी भगवान का स्मरण करते रहें, तो वह हमारे जीवन के हर दुख को समाप्त कर देता है और हमें आत्मिक शांति प्रदान करता है।
भगवत प्राप्ति के लिए सच्ची भक्ति जरूरी
भगवत प्राप्ति के लिए सच्ची भक्ति आवश्यक है। भक्ति का मतलब केवल पूजा-पाठ करना नहीं है, बल्कि भगवान के प्रति समर्पण होना है। प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि सच्ची भक्ति वह है जहाँ आप भगवान को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं।
भक्ति का असली अर्थ है, भगवान के प्रति निष्ठा और विश्वास रखना। जब हम सच्ची भक्ति करते हैं, तो हमारा जीवन सरल हो जाता है और हमें संसारिक कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता।
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